*अमूल्य रतन* 17
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969

*वर्तमान समय का पाठ*

अव्यक्त रूप से स्नेह को लेना और स्नेह से सर्विस का सबूत देना है।
01. अव्यक्त स्नेह ही याद की यात्रा को बल देता है। 02. अव्यक्त स्नेह ही अव्यक्ति स्थिति बनाने की मदद देता है।

*परिस्थिति और स्व स्थिति*

01. पुरुषार्थ से स्नेह कम होने के कारण परिस्थितियों को देख परेशान हो जाते हैं। परिस्थितियों का आधार ले स्थिति को बनाते हैं। 02. स्व स्थिति की पावर से परिस्थितियां बदलती है।
03. स्व स्थिति कमजोर होने के कारण कहांँ-कहांँ परिस्थिति प्रबल हो जाती है। “बाबा इस बात को ठीक करो तो हम ऐसे बनेंगे”; यह अर्जी डालना भी ठीक है लेकिन अर्जी के साथ साथ *जो शिक्षा मिलती है उसको स्वरूप में लाना है।*