*अमूल्य रतन* 30
अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969
शीर्षक: *जादू मंत्र का दर्पण*

*अव्यक्त मिलन के मूल्य* अव्यक्ति मिलन का मूल्य है *व्यक्त भाव को छोड़ना।*
यह मूल्य जो जितना देता है उतना ही अव्यक्त अमूल्य मिलन का अनुभव करता है।
अपने आपसे पूछो कि हमने _अव्यक्ति स्थिति में स्थित होने के लिए कहांँ तक और कितना समय दिया है?_

*अव्यक्त रूप में मिलना और व्यक्त रूप में मिलना दोनों में फर्क है।*

अव्यक्त रूप से मिलन मनाने के लिए अव्यक्ति स्थिति की जो आवश्यकता है उसको पूरा करना है।