*अमूल्य रतन* 08

अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969

*बीजरूप स्थिति का महत्व*

बीज रूप स्थिति में स्थित रहने से अनेक आत्माओं में समय की पहचान और बाप की पहचान का बीज पड़ेगा। बीजरूप अवस्था में स्थित होकर ललकार करो, *बार-बार सुनाओ कि यह बाप का कर्तव्य है।*

*प्रत्यक्षता*

अभी तक अपने स्वमान, अपनी सर्विस और अपनी श्रेष्ठता अपने से ही गुप्त है; इसी कारण सृष्टि से भी गुप्त है। जब अपने में प्रत्यक्षता होगी तब सृष्टि में भी होगी।