Amulya Ratan

Amulya Ratan – 282

*अमूल्य रतन* 282 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* *तीनों कर्तव्य प्रैक्टिकल और प्रत्यक्ष रूप में* मास्टर ब्रह्मा भी बने, पालना की, श्रृंगार किया लेकिन अब पार्ट है संहार का। *शक्तियों के अलंकार घुंँघरू की झंकार किस कार्य का गायन है?* घूंगरू डालकर असुरों पर नाचने का। नाचने से जो भी चीज होगी वह दबकर
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Amulya Ratan – 281

*अमूल्य रतन* 281 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* *फेथफुल अर्थात्* फेथफुल अर्थात् निश्चय बुद्धि। *एक तो अपने में निश्चय, दूसरा बापदादा में और तीसरा सर्व परिवार के आत्माओं में फेथफुल* होकर कोई कर्तव्य करेंगे तो निश्चित बुद्धि की विजय अर्थात् सक्सेस होगी। *संगमयुग की डिग्री प्राप्त करने वालों की निशानी* उसका हर कर्तव्य, हर
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Amulya Ratan – 280

*अमूल्य रतन* 280 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* शीर्षक: *संगमयुग की डिग्री और भविष्य की प्रालब्ध* *संगमयुग की डिग्री* संपूर्ण फरिश्ता व अव्यक्त फरिश्ता। *भविष्य की प्रालब्ध* दैवीपद। *संपूर्ण अव्यक्त फरिश्ता डिग्री की मुख्य क्वालिफिकेशन* नालेजफुल, फेथफुल, सक्सेसफुल, पावरफुल और सर्विसेबल। जितना जो क्वालिफाइड होगा उतना ही औरों को भी क्वालिफाइड बनाएगा। क्वालिफाइड जो
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Amulya Ratan – 279

*अमूल्य रतन* 279 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 June 1970* शीर्षक: *कामधेनु का अर्थ* कामधेनु का अर्थ ही है सबकी मनोकामनाएं पूरी करने वाली। जिसकी अपनी सर्व कामनाएं पूरे होंगे वहीं औरों की कामनाएं पूरे कर सकेंगे। *सर्व की इच्छाएं पूर्ण करने वाले स्वयं इच्छा मात्रम अविद्या होंगे।* प्राप्ति स्वरूप बनने से औरों को प्राप्ति करा
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Amulya Ratan – 278

*अमूल्य रतन* 278 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* *इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य लाने का साधन* बेहद का वैरागी बनना है तो सदैव अपने को मधुबन निवासी समझो। लेकिन *मधुबन को खाली नहीं देखना। मधुबन है ही मधुसूधन के साथ।* तो मधुबन याद आने से बापदादा, दैवी परिवार, त्याग, तपस्या और सेवा
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Amulya Ratan – 277

*अमूल्य रतन* 277 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* *सर्च लाइट बनने के लिए* जितना स्वयं को सर्च कर सकेंगे उतना ही सर्च लाइट बनेंगे। *विल पावर और वाइड पावर* अभी पॉवरफुल भी नहीं लेकिन विलपॉवर वाला बनना है। विलपावर और वाइड पॉवर अर्थात् बेहद की तरफ दृष्टि और वृत्ति। *चक्कर लगाकर चक्रवर्ती राजा बनो*
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Amulya Ratan – 276

*अमूल्य रतन* 276 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* शीर्षक: *सायलेंस बल का प्रयोग।* *शक्तियों की विशेषता* 01. जितना ही प्रेममूर्त उतना ही संहारीमूर्त। प्रेमरूप प्रत्यक्ष और शक्ति रूप गुप्त है। 02. शक्तियों का एक भी संकल्प या एक भी बोल व्यर्थ नहीं जा सकता। 03. जो कहा वह किया, संकल्प और कर्म में अंतर
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Amulya Ratan – 275

*अमूल्य रतन* 275 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* *तीसरे नेत्र का साक्षात्कार कैसे होगा?* मस्तक में झलक, नयनों में फलक देखने में आएगी। इससे पता पड़ेगा कि इनका तीसरा नेत्र मग्न है या युद्ध स्थल में है। तीसरा नेत्र अर्थात् दिव्य बुद्धि, यथार्थ रीति से स्वच्छ होगी तो एक टिक होगा। *साक्षात्कार मूर्त अर्थात्
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Amulya Ratan – 274

*अमूल्य रतन* 274 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* *समाना अर्थात् समान हो जाना।* जितना अपनेपन को समाएंगे उतना ही समानता मूर्त बनेंगे। *अन्य आत्माओं की सेवा करते समय लक्ष्य रहे* _बाप समान बनाना है। आप समान नहीं।_ क्योंकि *आप सामान बनाएंगे तो जो आप में कमी होगी वह उसमें भी आ जायेगी।* अगर संपूर्ण
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Amulya Ratan – 282

*अमूल्य रतन* 282 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* *तीनों कर्तव्य प्रैक्टिकल और प्रत्यक्ष रूप में* मास्टर ब्रह्मा भी बने, पालना की, श्रृंगार किया लेकिन अब पार्ट है संहार का। *शक्तियों के अलंकार घुंँघरू की झंकार किस कार्य का गायन है?* घूंगरू डालकर असुरों पर नाचने का। नाचने से जो भी चीज होगी वह दबकर
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Amulya Ratan – 281

*अमूल्य रतन* 281 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* *फेथफुल अर्थात्* फेथफुल अर्थात् निश्चय बुद्धि। *एक तो अपने में निश्चय, दूसरा बापदादा में और तीसरा सर्व परिवार के आत्माओं में फेथफुल* होकर कोई कर्तव्य करेंगे तो निश्चित बुद्धि की विजय अर्थात् सक्सेस होगी। *संगमयुग की डिग्री प्राप्त करने वालों की निशानी* उसका हर कर्तव्य, हर
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Amulya Ratan – 280

*अमूल्य रतन* 280 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 July 1970* शीर्षक: *संगमयुग की डिग्री और भविष्य की प्रालब्ध* *संगमयुग की डिग्री* संपूर्ण फरिश्ता व अव्यक्त फरिश्ता। *भविष्य की प्रालब्ध* दैवीपद। *संपूर्ण अव्यक्त फरिश्ता डिग्री की मुख्य क्वालिफिकेशन* नालेजफुल, फेथफुल, सक्सेसफुल, पावरफुल और सर्विसेबल। जितना जो क्वालिफाइड होगा उतना ही औरों को भी क्वालिफाइड बनाएगा। क्वालिफाइड जो
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Amulya Ratan – 279

*अमूल्य रतन* 279 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 June 1970* शीर्षक: *कामधेनु का अर्थ* कामधेनु का अर्थ ही है सबकी मनोकामनाएं पूरी करने वाली। जिसकी अपनी सर्व कामनाएं पूरे होंगे वहीं औरों की कामनाएं पूरे कर सकेंगे। *सर्व की इच्छाएं पूर्ण करने वाले स्वयं इच्छा मात्रम अविद्या होंगे।* प्राप्ति स्वरूप बनने से औरों को प्राप्ति करा
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Amulya Ratan – 278

*अमूल्य रतन* 278 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* *इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य लाने का साधन* बेहद का वैरागी बनना है तो सदैव अपने को मधुबन निवासी समझो। लेकिन *मधुबन को खाली नहीं देखना। मधुबन है ही मधुसूधन के साथ।* तो मधुबन याद आने से बापदादा, दैवी परिवार, त्याग, तपस्या और सेवा
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Amulya Ratan – 277

*अमूल्य रतन* 277 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* *सर्च लाइट बनने के लिए* जितना स्वयं को सर्च कर सकेंगे उतना ही सर्च लाइट बनेंगे। *विल पावर और वाइड पावर* अभी पॉवरफुल भी नहीं लेकिन विलपॉवर वाला बनना है। विलपावर और वाइड पॉवर अर्थात् बेहद की तरफ दृष्टि और वृत्ति। *चक्कर लगाकर चक्रवर्ती राजा बनो*
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Amulya Ratan – 276

*अमूल्य रतन* 276 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 July 1970* शीर्षक: *सायलेंस बल का प्रयोग।* *शक्तियों की विशेषता* 01. जितना ही प्रेममूर्त उतना ही संहारीमूर्त। प्रेमरूप प्रत्यक्ष और शक्ति रूप गुप्त है। 02. शक्तियों का एक भी संकल्प या एक भी बोल व्यर्थ नहीं जा सकता। 03. जो कहा वह किया, संकल्प और कर्म में अंतर
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Amulya Ratan – 275

*अमूल्य रतन* 275 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* *तीसरे नेत्र का साक्षात्कार कैसे होगा?* मस्तक में झलक, नयनों में फलक देखने में आएगी। इससे पता पड़ेगा कि इनका तीसरा नेत्र मग्न है या युद्ध स्थल में है। तीसरा नेत्र अर्थात् दिव्य बुद्धि, यथार्थ रीति से स्वच्छ होगी तो एक टिक होगा। *साक्षात्कार मूर्त अर्थात्
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Amulya Ratan – 274

*अमूल्य रतन* 274 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* *समाना अर्थात् समान हो जाना।* जितना अपनेपन को समाएंगे उतना ही समानता मूर्त बनेंगे। *अन्य आत्माओं की सेवा करते समय लक्ष्य रहे* _बाप समान बनाना है। आप समान नहीं।_ क्योंकि *आप सामान बनाएंगे तो जो आप में कमी होगी वह उसमें भी आ जायेगी।* अगर संपूर्ण
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Amulya Ratan – 273

*अमूल्य रतन* 273 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* संपूर्ण शब्द को कितना विशाल रूप से धारण किया है चेक करो – *सर्व समर्पण के लक्ष्य से संपूर्ण* बने? जितना समर्पण उतना संपूर्ण। *समर्पण में चार बातें* / *समर्पण शब्द का विशाल रहस्य* 01. अपना हर संकल्प समर्पण, 02. हर सेकंड समर्पण अर्थात् समय समर्पण,
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Amulya Ratan – 272

*अमूल्य रतन* 272 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 June 1970* शीर्षक: *समर्पण का विशाल रूप* *संपूर्ण राज्य के अधिकारी बनने के लिए* जितना समय अपने को *सफलता मूर्त* बनाएंगे उतना ही समय वहां संपूर्ण राज्य के अधिकारी बनेंगे। जो बहुत समय से *संपूर्ण बनने के पुरुषार्थ में मग्न* रहते हैं वही संपूर्ण समय राज्य के अधिकारी
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Amulya Ratan – 271

*अमूल्य रतन* 271 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 June 1970* *बुद्धि को शक्तिशाली बनाने के लिए* बापदादा बुद्धि की ड्रिल कराते हैं जिससे परखने की और दूरांदेशी बनने की क्वालिफिकेशन इमर्ज हो जाये। *प्रोग्राम फिक्स तो प्रोग्रेस भी फिक्स* जितना जितना अपनी सीट फिक्स करेंगे समय भी फिक्स करेंगे तो अपना प्रवृत्ति का कार्य भी फिक्स
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Amulya Ratan – 270

*अमूल्य रतन* 270 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 June 1970* *सुस्ती का रॉयल रूप* 01. कई यह भी सोचते हैं कि अव्यक्त स्थिति इस पुरुषार्थी जीवन में सात आठ घंटा रहे यह हो ही कैसे सकता है? यह तो अंत में होना है। 02. कई यह भी सोचते हैं कि फिक्स सीट्स ही कम है तो
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Amulya Ratan – 269

*अमूल्य रतन* 269 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 June 1970* *अधिकारी और अधीन* अधिकार को भूलने से अधिकारी नहीं समझते फिर माया के अधीन हो जाते हो। जितना अपने को *अधिकारी* समझते हैं उतना उदारचित्त बनेंगे। जितना जो *उदारचित्त* बनता है उतना *उदाहरण स्वरूप* भी बनता है और अनेकों का *उद्धार* भी कर सकता है। *माया
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Amulya Ratan – 268

*अमूल्य रतन* 268 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 June 1970* शीर्षक: *व्यक्त और अव्यक्त वतन की भाषा में अंतर* वहां अव्यक्त वतन में *एक सेकंड में बहुत कुछ रहस्य स्पष्ट* हो जाते हैं। यहां आप की दुनिया में *बहुत बोलने के बाद स्पष्ट* होता है। _अभी अव्यक्त को व्यक्त लोक के निवासियों के लिए अव्यक्त आधार
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Amulya Ratan – 267

*अमूल्य रतन* 267 अव्यक्त मुरली दिनांक: *19 June 1970* *संकल्पों को ब्रेक लगाने का मुख्य साधन* जो भी कार्य करते हो तो *करने से पहले सोचकर फिर कार्य शुरू करो कि यह *बापदादा का कार्य है, मैं निमित्त मात्र हूंँ।* और जब कार्य समाप्त हो जाता है तो जो *परिणाम* निकला उसे *बाप को समर्पण
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Amulya Ratan – 266

*अमूल्य रतन* 266 अव्यक्त मुरली दिनांक: *19 June 1970* शीर्षक: *त्रिमूर्ति लाइट्स का साक्षात्कार* _ब्राह्मण अर्थात् त्रिमूर्ति शिव वंशी बच्चों को/से तीन प्रकार के लाइट्स का साक्षात्कार होता है_ 01. नयनों से ज्योति का। ऐसे अंधियारे में सच्चे हीरे चमकते हैं। 02. मस्तक की लाइट। 03. माथे पर लाइट का क्राउन। आप की लाइट की
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Amulya Ratan – 265

*अमूल्य रतन* 265 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 June 1970* *अव्यक्त स्थिति* अव्यक्त स्थिति में रहने का कम से कम 8 घंटे का लक्ष्य रखना है। *अव्यक्त की स्मृति अर्थात् अव्यक्त स्थिति।* बाप के स्नेही हो या माया के? स्नेह अर्थात् संपर्क। जिससे संपर्क होता है तो संस्कार भी उनके जैसा ही होना चाहिए। *संपूर्ण स्टेज
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Amulya Ratan – 264

*अमूल्य रतन* 264 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 June 1970* *सेंसिबल ब्राह्मण* जो सेंसिबल होते हैं वह हर कार्य यथार्थ रीति से कर सकते हैं। देवताओं से भी ज्यादा सेन्सीबल ब्राह्मण हैं। *सेंसिबल की परख* सेन्स के साथ इसेंस में टिकना। *फर्स्ट आने के लिए फास्ट रखो* जो भी संस्कार व चीज़ पुरुषार्थ में नुकसानकारक हैं
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Amulya Ratan – 263

*अमूल्य रतन* 263 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 June 1970* _अगर टाइम टेबल नहीं होगा तो टाइम सफल नहीं होगा। अगर टाइम सफल नहीं होगा तो कार्य भी सफल नहीं होगा।_ टाइम प्रमाण चलने से ही दिन में अनेक कार्य कर सकते हैं। *आत्मा की उन्नति के कार्य नोट करो।* *प्रतिज्ञा के बाद प्रैक्टिकल, प्रैक्टिकल के
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Amulya Ratan – 262

*अमूल्य रतन* 262 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 June 1970* शीर्षक: *वृद्धि के लिए टाइम टेबल की विधि* *अपनी स्थिति की वृद्धि की विधि* मुख का आर्गन्स कुछ मोटा है, बुद्धि मुख से सूक्ष्म है। मुख के माफिक बुद्धि को जब चाहो तब चलाओ जब चाहो तब न चलाओ। जब यह अभ्यास मजबूत होगा तो अपनी
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Amulya Ratan – 261

*अमूल्य रतन* 261 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 June 1970* *अपनी धारणा को अविनाशी बनाने व सदा कायम रखने के लिए* 01. सभी बातों में सिंपल (Simple) रहना। 02. अपने को सैंपल (Sample) समझना। *मिटेंगे लेकिन हटेंगे नहीं* यह याद रखना कि चाहे _संस्कारों में, चाहे सर्विस में, चाहे संबंध में, सर्व बातों में अपने को
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Amulya Ratan – 260

*अमूल्य रतन* 260 अव्यक्त मुरली दिनांक: *11 June 1970* शिर्षक: *विश्वपति बनने की सामग्री* ताज, तख्त और तिलक। *इनको धारण करने के लिए* _*तिलक* को धारण करने के लिए *तपस्या*।_ _*ताज* को धारण करने के लिए *त्याग*।_ _*तख्त* पर विराजमान होने के लिए जितनी *सेवा* _ करेंगे उतना अब भी तख्त नशीन और भविष्य में
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Amulya Ratan – 259

*अमूल्य रतन* 259 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *कर्म बंधन को काटने की युक्तियां* जितना वह कर्म बंधन पक्का है उतना ही यह ईश्वरीय बंधन को भी पक्का करो तो वह बंधन जल्दी कटेंगे। *बिंदु रूप में टिकने की युक्तियां* बिंदु रूप में अगर ज्यादा नहीं टिक सकते तो इसके पीछे समय ना गंवाओ।
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Amulya Ratan – 258

*अमूल्य रतन* 258 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *समीप रत्न के लक्षण* बापदादा के संस्कारों में समानता। आदि स्वरूप को स्मृति में रखो। *सतयुग आदि का और मरजीवा जीवन के आदि रूप को स्मृति में रखने से मध्य समा जायेगा।* *स्नेह का रिटर्न सहयोग* जैसे बाप सर्व समर्थ है तो बच्चों को भी मास्टर
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Amulya Ratan – 257

*अमूल्य रतन* 257 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *अव्यक्त स्थिति का अनुभव* एक सेकेंड भी अव्यक्त स्थिति का अनुभव होता है तो उसका असर काफी समय तक रहता है। *अव्यक्त स्थिति से सर्व संकल्प सिद्ध हो जाते हैं।* *अव्यक्त स्थिति से मेहनत कम, प्राप्ति अधिक होती है।* *चलते चलते आनेवाली उलझन और निराशा को
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Amulya Ratan – 256

*अमूल्य रतन* 256 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *विधि-विधान और विधाता* विधि और विधान दोनों के साथ ही विधाता की याद आती है। *अगर विधाता भी याद रहे तो विधि और विधान दोनों ही साथ स्मृति में रहेगा।* विधाता को भूलने से कभी विधान तो कभी विधि छूट जाती है। साथ रहने से सफलता
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Amulya Ratan – 255

*अमूल्य रतन* 255 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *समीपता* _समीपता अर्थात् एक दो को सम्मान देना।_ जितना एक दो को सम्मान देंगे उतना ही सारे विश्व आप सभी का सम्मान करेगा। *हाँ जी का पार्ट* Serviceable बच्चों को कभी भी कोई का विचार स्पष्ट ना हो तो कभी भी ना नहीं करनी चाहिए। जब
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Amulya Ratan – 254

*अमूल्य रतन* 254 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* *अव्यक्त स्थिति रूपी दर्पण को साफ और स्पष्ट करने के लिए तीन बातें* सरलता, श्रेष्ठता और सहनशीलता। अगर इन तीनों बातों में से कोई एक भी बात की कमी है तो दर्पण पर भी कमी की दाग दिखाई पड़ता है। इसलिए हर कार्य करने से पहले
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Amulya Ratan – 253

*अमूल्य रतन* 253 अव्यक्त मुरली दिनांक: *07 June 1970* शीर्षक: *दिव्य मूर्त बनने की विधि* *संपूर्णता की निशानी* संकल्पों को कैच करने की प्रैक्टिस होगी तो संकल्प रहित भी सहज बन सकेंगे। ज्यादा संकल्प तब चलाना पड़ता है जब किसी के संकल्पों को परख नहीं सकते। *हर एक के संकल्प को रीड करने की प्रैक्टिस
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Amulya Ratan – 252

*अमूल्य रतन* 252 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 May 1970* *महारथी* महारथी उसको कहा जाता है *जो सदैव माया पर विजय प्राप्त करें।* माया को सदा के लिए विदाई दे दे। *विघ्नों को हटाने में सफल बनने के लिए* नॉलेज के आधार पर विघ्न हटाओ। अगर विघ्न हटते नहीं है तो जरूर शक्ति प्राप्त करने में
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Amulya Ratan – 251

*अमूल्य रतन* 251 अव्यक्त मुरली दिनांक: *29 May 1970* शीर्षक: *समीप रत्नों की निशानियां* *समीप रत्न के समीप आने की निशानी* 01. ऐसे अनुभव करेंगे कि यह शरीर जैसे अलग है। हम इसको धारण कर चला रहे हैं। 02. अपना आकारी रूप और भविष्य रूप सामने देखते रहेंगे। एक आंख में संपूर्ण स्वरूप और दूसरी
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Amulya Ratan – 250

*अमूल्य रतन* 250 अव्यक्त मुरली दिनांक: *28 May 1970* *विघ्नों को सहज पार करने के लिए* जैसे एक आंख में मुक्ति, दूसरी आंख में जीवनमुक्ति रखते हैं। वैसे एक तरफ विनाश के नगाड़े सामने रख और दूसरी तरफ अपने राज्य के नजारे सामने रखो। *नगाड़े भी नजारे भी। विनाश भी स्थापना भी।* *सफलता के लिए*
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Amulya Ratan – 249

*अमूल्य रतन* 249 अव्यक्त मुरली दिनांक: *28 May 1970* शीर्षक: *हाई जंप देने के लिए हल्का बनो* *हाई जंप देने वालों के लक्षण* एक है अंदर *अपनी अवस्था का हल्कापन।* दूसरा  बाहर में एक दो के *संबंध संपर्क में* आना होता है तो वहां भी हल्कापन। *तपस्या ऐसी हो* जो जैसा भी हो, जहां भी
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Amulya Ratan – 248

  *अमूल्य रतन* 248 अव्यक्त मुरली दिनांक: *21 May 1970* *एकता का साधन* एक नामी बन सदैव *हर बात में एक का ही नाम लो* एकनामी और इकोनॉमी वाले बनना है। इकोनॉमी – *संकल्पों की, समय की और ज्ञान के खजाने की* भी इकोनॉमी चाहिए। इकोनॉमी करने से *व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे और न व्यर्थ
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Amulya Ratan – 247

*अमूल्य रतन* 247 अव्यक्त मुरली दिनांक: *21 May 1970* शीर्षक: *भिन्नता को मिटाने की युक्ति* *मास्टर जानी जाननहार की डिग्री* ऐसी अवस्था होनी चाहिए जो कोई के संकल्प को ऐसे ही स्पष्ट जान ले जैसे वाणी द्वारा सुनने के बाद जाना जाता है। यह मास्टर जानी जाननहार की डिग्री भी यथायोग्य  यथा शक्तिशाली प्राप्त होगी।
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Amulya Ratan – 246

*अमूल्य रतन* 246 अव्यक्त मुरली दिनांक: *14 May 1970* *संगम युगी ताज और तख्त सदैव कायम रहे इसके लिए तीन बातें* उपकारी, निरहंकारी और अधिकारी। *अधिकार* भी सामने रखना है, *निरहंकार* का गुण भी सामने रखना है और *उपकार* करने का कर्तव्य भी करना है। कोई कितना भी अपकारी हो लेकिन अपनी दृष्टि और वृत्ति
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Amulya Ratan – 245

*अमूल्य रतन* 245 अव्यक्त मुरली दिनांक: *14 May 1970* *लॉ मेकर्स का टाईटल* सतयुग में जो भी लॉज चलने वाले हैं उसे बनाने वाले आप हो। यह स्मृति में रखने से हर कदम सोच-समझकर उठाएंगे। *जो संकल्प आप करेंगे, जो कदम आप उठायेंगे, आपको देख सारा विश्व फॉलो करेगा।* आपकी प्रजा भी फॉलो करेगी। इसमें
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Amulya Ratan – 244

*अमूल्य रतन* 244 अव्यक्त मुरली दिनांक: *14 May 1970* शीर्षक: *समर्पण का गुह्य अर्थ* *समर्पण किसको कहा जाता है?* देह अभिमान से संपूर्ण अर्पण होना। 01. *स्वभाव* समर्पण। 02. *देह अभिमान* का समर्पण। देह अर्थात् कर्मेंद्रियों के लगाव का समर्पण। 03. *संबंधों* का समर्पण। बिंदु रूप की स्थिति सदा साथ है तो वही सदा सुहागिन
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Amulya Ratan – 243

  *अमूल्य रतन* 243 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *गायन योग्य कौन बनते हैं और पूजन योग्य कौन बनते हैं?* एकरस रहने वाले का पूजन एक रस होता है। पुरुषार्थ में ‘कब’ शब्द नहीं रहना चाहिए। *संपूर्ण स्थिति* संपूर्ण स्थिति सर्व शक्ति संपन्न होती है। सर्व शक्ति संपन्न बनने से सर्वगुण संपन्न बनेंगे। *भविष्य
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Amulya Ratan – 242

*अमूल्य रतन* 242 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *स्नेही बनने के लिए* विदेही बनना अर्थात् स्नेही बनना क्योंकि बाप विदेही है। ऐसे ही *देह में रहते विदेही रहने वाले सर्व के स्नेही* होते हैं। *अकेलापन और साथ का अनुभव* अगर शिवबाबा साथ है तो अकेलापन लगेगा नहीं। अकेला अर्थात् न्यारा संगठन अर्थात् प्यारा। *अकेला
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Amulya Ratan – 241

*अमूल्य रतन* 241 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *श्रेष्ठ मणी* अगर श्रेष्ठ काम करेंगे तो नाम पड़ेगा श्रेष्ठ मणी। तब कहेंगे बड़े, बड़े हैं लेकिन छोटे (बाप) समान अल्लाह। *सरलता और सहनशीलता साथ साथ* _सहनशीलता के बिना सरलता आ जाती है तो *भोलापन* कहा जाता है। _सरलता के साथ सहनशीलता_ है तो *शक्ति स्वरूप*
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Amulya Ratan – 240

*अमूल्य रतन* 240 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *विशेष शक्ति कौन से भरनी है?* जिसमें सहनशक्ति कम उसमें संपूर्णता भी कम। तृप्त आत्मा का विशेष गुण है निर्भयता और संतुष्ट रहना।‌ *जो स्वयं संतुष्ट रहता है और दूसरों को संतुष्ट रखता है उसमें सर्वगुण आ जाते हैं।* *ज्ञान मूर्त और याद मूर्त* जो खुद
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Amulya Ratan – 239

*अमूल्य रतन* 239 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *बापदादा का स्नेह कैसे प्राप्त होता है?* जितना जितना *बाप के कर्तव्य में सहयोगी बनते हैं उतना उतना स्नेह।* जिस दिन कर्तव्य के अधिक सहयोगी होते हैं उस दिन स्नेह का विशेष अधिक अनुभव होता है। *स्वमान कैसे प्राप्त होता है?* जितना *निर्माण* उतना *स्वमान*। जितना
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Amulya Ratan – 238

*अमूल्य रतन* 238 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *अनेक जन्मों में जो बाप की पूजा की है वह रिटर्न एक जन्म में बापदादा देता है।* *सर्व के प्यारे बनने की युक्ति* अगर मानो _किसी आत्मा के प्यारे नहीं बन सकते_ हैं उसका _कारण_ यही होता है कि _उस आत्मा के संस्कार और स्वभाव से
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Amulya Ratan – 237

*अमूल्य रतन* 237 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* *शक्तियों का मुख्य गुण* निर्भयता और विस्तार को एक सेकंड में समेटने की शक्ति। एकता और एकरस। *सुनना और स्वरूप बन जाना।* *सेंस(Sense) तो है अब ज्ञान का जो एसेंस(Essence) है उसमें रहना।* इस ज्ञान की आवश्यक बातें ही एसेंस है। *इनको सदा के लिए पूर्ण
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Amulya Ratan – 236

*अमूल्य रतन* 236 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 April 1970* शीर्षक: *सर्व पॉइंट का सार पॉइंट(बिंदी) बनो* *इस समय का मुख्य पुरुषार्थ – विस्तार को समाना* जिसको समेटना आता है उसको समाना भी आता है। *जिनको विस्तार को समाने का तरीका आ जाता है वही बापदादा के समान बन जाते हैं।* _बीज स्वरूप स्थिति में स्थित
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Amulya Ratan – 235

*अमूल्य रतन* 235 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970* *गुह्य पहेली* _आप लोग मन में जो संकल्प करते हो वह आपके मन में पीछे आता है उनके पहले बापदादा के पास स्पष्ट हो जाता है।_ क्योंकि *संपूर्ण बनने से ड्रामा की हर नूंध स्पष्ट देखने में आती है।* इसीलिए ड्रामा की नूंध को पहले से
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Amulya Ratan – 234

*अमूल्य रतन* 234 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970* *पुरुषार्थियों की लाइन* 01. तीव्र पुरुषार्थी। 02. केवल पुरुषार्थी। 03. गुप्त पुरुषार्थी। 04. ढीले पुरुषार्थी। *सर्वस्व त्यागी* सर्वस्व त्यागी और *सर्व संकल्पों के त्यागी। सिर्फ सर्व संबंधों का त्याग नहीं।* हम विजयी बनें इस संकल्प का भी त्याग। यही संपूर्ण स्थिति है। *स्वयं और संगठन* जो
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Amulya Ratan – 233

*अमूल्य रतन* 233 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970* *स्पष्ट अर्थात् संतुष्ट* जब तक *साक्षात् साकार रूप नहीं बने हैं तब तक साक्षात्कार नहीं हो सकता।* इसलिए इस विषय पर अति समीप रत्नों को ध्यान देना है। जितना समीप उतना ही स्वयं भी स्पष्ट और दूसरे भी उनके आगे स्पष्ट दिखाई देंगे। *जितना जितना जिसका
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Amulya Ratan – 232

*अमूल्य रतन* 232 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970* *अंतिम पढ़ाई की स्टेज* बापदादा ऐसा *मास्टर सर्वशक्तिवान बनने की पढ़ाई* पढ़ा रहे हैं। *जो किसी के भी सूरत में उसकी स्थिति और संकल्प स्पष्ट समझ सको।* यह है अंतिम पढ़ाई की स्टेज। साकार रूप में थोड़ी सी झलक अंत में दिखाई। ऐसी ही स्थिति नंबर
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Amulya Ratan – 231

*अमूल्य रतन* 231 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 April 1970* शीर्षक: *संपूर्ण स्टेज की निशानियां* *संपूर्णता की निशानी* 01. अभी अभी आवाज़ में, अभी अभी आवाज़ से परे। जब यह अभ्यास सरल और सहज हो जाएगा तब समझो संपूर्णता आई है। 02. सर्व पुरुषार्थ सरल होगा। पुरुषार्थ में सभी बातें आ जाती है याद की यात्रा,
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Amulya Ratan – 230

*अमूल्य रतन* 230 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *श्रेष्ठ सर्विस* जो गायन है नजर से निहाल तो दृष्टि और वृत्ति की सर्विस यह प्रेक्टिकल में लानी है। *वाचा तो एक साधन है लेकिन कोई को संपूर्ण स्नेह और संबंध में लाना इसके लिए वृत्ति और दृष्टि की सर्विस हो।* इससे एक स्थान पर बैठे
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Amulya Ratan – 229

*अमूल्य रतन* 229 ( अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *याद नहीं ठहरने के कारण* संकल्प, वाणी, कर्म, संबंध व सर्विस में अगर कोई भी हद रह जाती है तो वह बाउंड्रीज़ बॉन्डेज में बांध देती है। *बेहद की स्थिति में होने से ही बेहद के रूप में स्थित हो सकेंगे।* *महारथियों का कर्तव्य* संपूर्ण
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Amulya Ratan – 228

*अमूल्य रतन* 228 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *उपराम और द्रष्टा अर्थात्* जो साक्षी बनते हैं उनका ही दृष्टांत देने में आता है। तो साक्षी द्रष्टा का सबूत सामने रखना है। *एक तो अपने बुद्धि से उपराम। संस्कारों से भी उपराम। मेरे संस्कार है इस मेरे पन से भी उपराम।* *मैं पन और मेरा
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Amulya Ratan – 227

*अमूल्य रतन* 227 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *गुड्डियों का खेल* संकल्पों की रचना करते हो, फिर उसकी पालना करते हो, फिर उनको बड़ा करते हो, फिर उनसे खुद ही तंग होते हो। यह गुड्डियों का खेल नहीं है? *बापदादा व्यर्थ रचना नहीं रचते हैं और बच्चे….?* इसलिए ऐसी रचना नहीं रचनी है। *बर्थ
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Amulya Ratan – 226

*अमूल्य रतन* 226 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* *नई दुनिया का प्लेन प्रैक्टिकल में आना अर्थात्* पुरानी दुनिया की कोई भी बात फिर से प्रैक्टिकल में ना आए। *इस संगठन का महत्व* यह संगठन काॅमन नहीं है‌। इस संगठन से ऐसा स्वरुप बनकर निकलना जो सभी को साक्षात बापदादा के ही बोल महसूस हो।
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Amulya Ratan – 225

*अमूल्य रतन* 225 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 मार्च 1970* शीर्षक: *महारथीपन के गुण और कर्तव्य* *महारथियों की निशानी* 01. जो महारथी कहलाए जाते हैं *उनकी प्रैक्टिस और प्रैक्टिकल साथ साथ होगा।* घोडेसवार प्रैक्टिस करने के बाद प्रैक्टिकल में आएंगे। प्यादे प्लेन्स ही सोचते रहेंगे। 02. महारथियों के मुख से ‘कब’ शब्द नहीं निकलेगा। ‘अब’ निकलेगा।
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Amulya Ratan – 224

*अमूल्य रतन* 224 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *संगमयुग का डबल ताज* एक है स्नेह का दूसरा है सर्विस का। सर्विस का ताज है जिम्मेवारी का ताज। स्थूल है। स्नेह का ताज सूक्ष्म है। *सर्व के स्नेही और सर्व के सहयोगी* जो सर्व त्यागी होते हैं वही सर्व के स्नेही और सहयोगी बनते हैं।
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Amulya Ratan – 223

*अमूल्य रतन* 223 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *श्रेष्ठता लाने के लिए मुख्य गुण* जितनी स्पष्टता होगी उतनी श्रेष्ठता आयेगी। जो स्पष्ट होता है वही सरल और श्रेष्ठ होता है। _स्पष्टता श्रेष्ठता के नजदीक हैं। जितनी स्पष्टता उतनी सफलता।_ *आदि रत्नों की महिमा* आदि सो अनादि। जो आदि रतन है वह अनादि गायन योग्य
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Amulya Ratan – 222

*अमूल्य रतन* 222 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *समानता* जितनी समानता है उतना स्वमान मिलेगा। जितनी जिसमें समानता देखो उतना समीप समझो। *समीप रत्न की परख समानता है।* *लाइट और माइट का दान* सभी को लाइट अर्थात रोशनी आ रही है कि इन्हों की नॉलेज क्या है लेकिन प्रभाव कम है। जब लाइट और
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Amulya Ratan – 221

*अमूल्य रतन* 221 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *तख्त नशीन बनने के लिए* जो सदैव नशे में है और निशाना बिल्कुल एक्यूरेट रहता है। नशा और निशाना, योग और ज्ञान। ऐसे बच्चे ही तख्त के अधिकारी बनते हैं। *वाणी मूर्त और साक्षात्कार मूर्त* अभी वाणी से औरों को साक्षात्कार होता है लेकिन फिर होगा
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Amulya Ratan – 220

*अमूल्य रतन* 220 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *संस्कारों को मिलाने के लिए* दिलों का मिलन करना पड़ेगा। *कुछ मिटाना पड़ेगा, कुछ भुलाना पड़ेगा, कुछ समाना पड़ेगा* – तब यह संस्कार मिल जाएंगे। यह है अंतिम सिद्धि का स्वरूप बनना। *एक दो की बातों को स्वीकार करना और सत्कार देने* से संपूर्णता और सफलता
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Amulya Ratan – 219

*अमूल्य रतन* 219 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* *सरलचित्त बनने की युक्ति* अपने व दूसरों की बीती को ना देखो। *सरलचित्त की निशानी* मधुरता नयनों से, मुख से व चलन से प्रत्यक्ष रूप में देखने में आती है। इसलिए होली पर मिठाई का नियम है। *बड़े ते बड़ा मिलन – संस्कारों का मिलना।* *विधि
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Amulya Ratan – 218

*अमूल्य रतन* 218 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 मार्च 1970* शीर्षक: *सच्ची होली मनाना अर्थात् बीती को बीती करना।* *होली मनाना अर्थात्* 01. सदा के लिए बीती सो बीती का पाठ पक्का करना। 02. होली के अर्थ को जीवन में लाना। 03. पुरुषार्थ को बदलने के लिए कोई ना कोई बात को सामने रख प्रतिज्ञा करना
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Amulya Ratan – 217

*अमूल्य रतन* 217 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970* *प्रतिज्ञा ही प्रत्यक्षता को लाएगी* प्रतिज्ञा की तीन लकीर दिखाते हैं। बेलपत्र भी जो चढ़ाते हैं वह भी तीन पत्तों का होता है। *तो तीन प्रतिज्ञाएं करो -* 01. सहनशीलता का बल अपने में धारण करेंगे। 02. क्यों कि क्यू खत्म करेंगे। 03. आसुरी संस्कारों पर
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Amulya Ratan – 216

*अमूल्य रतन* 216 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970* *चार बल* जैसे संगठन का बल है, स्नेह का बल भी है, एक दो को सहयोग देने का बल भी है। अभी सिर्फ एक बल चाहिए वह है सहनशीलता का बल। *अगर सहनशीलता का बल हो तो माया कभी वार कर नहीं सकती।* *पांडव भवन का
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Amulya Ratan – 215

*अमूल्य रतन* 215 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970* *व्यर्थ संकल्पों का बीज* व्यर्थ संकल्प व विकल्प जो चलते हैं तो एक ही शब्द बुद्धि में आता है कि *यह क्यों हुआ,* क्यों से व्यर्थ संकल्पों की क्यू शुरू हो जाती है। इस क्यों शब्द से फिर कल्पना शुरू हो जाता है। *इस क्यू के
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Amulya Ratan – 214

*अमूल्य रतन* 214 अव्यक्त मुरली दिनांक: *05 मार्च 1970* शीर्षक: *जल चढ़ाना अर्थात् प्रतिज्ञा करना।* *शिवजयंती मनाना अर्थात्* बच्चों का मनाना अर्थात् एक तो है मिलना और दूसरा है अपने समान बनाना। *जल अथवा दूध चढ़ाने की रस्म* जल व दूध चढ़ाने का भावार्थ यह है कि जब कोई भी प्रतिज्ञा करनी होती है तो
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Amulya Ratan – 213

*अमूल्य रतन* 213 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 फरवरी 1970* *संपूर्ण होने में रुकावट डालने वाला विशेष विघ्न* व्यर्थ संकल्प। *इससे बचने के लिए* 01. एक तो कभी अंदर की व बाहर की रेस्ट ना लो। 02. सदैव अपने को गेस्ट समझो। अगर गेस्ट समझेंगे और रेस्ट नहीं करेंगे तो संकल्प और समय वेस्ट नहीं जाएगा।
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Amulya Ratan – 212

*अमूल्य रतन* 212 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 फरवरी 1970* *सर्विस में सफलता लाने के लिए दो बातें* *निशाना और नशा।* जब निशाना ठीक होता है तो एकदम से किसी को मरजीवा बना सकते हो। _अगर अपनी स्थिति का भी निशाना_ और दूसरे के सर्विस करने का भी निशाना ठीक होगा और _साथ-साथ नशा भी सदैव
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Amulya Ratan – 211

*अमूल्य रतन* 211 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 फरवरी 1970* *ऐसे साक्षात्कारमूर्त बनो* जो कोई भी सामने आए, वह चित्र आपके नैनों में देखते ही बुद्धि योग द्वारा अनेक साक्षात्कार हो। *साक्षात्कारमूर्त बनने के लिए* सदैव साक्षी स्थिति में स्थित रहना। *ऐसा पुरुषार्थ करो* एक एक के मस्तक में लाइट देखने में आये। विनाश के समय
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Amulya Ratan – 210

*अमूल्य रतन* 210 अव्यक्त मुरली दिनांक: *02 फरवरी 1970* शीर्षक: *आत्मिक पावर की परख* *ईश्वरीय शक्ति का प्रोजेक्टर* यह *दिव्य नेत्र* (ईश्वरीय शक्ति का प्रोजेक्टर) जितना जितना क्लियर अर्थात् रूहानियत से संपूर्ण होंगे उतना ही तुम बच्चों के नयनों द्वारा कई चित्र देख सकते हैं। इन नयनों द्वारा *बापदादा और पूरी रचना के स्थूल, सूक्ष्म
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Amulya Ratan – 209

*अमूल्य रतन* 209 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *एग्जाम और एग्जांपल* जो यथार्थ पुरुषार्थी है उनके पुरुषार्थ में इतनी पावर रहती है जो औरों के आगे एग्जांपल बनते हैं। *आपको देख औरों को प्रेरणा मिले।* तभी एग्जाम में पास हो सकते हैं। *बंधन तोड़ने के लिए* शक्ति बिगर बंधन नहीं टूटेंगे। याद की शक्ति
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Amulya Ratan – 208

*अमूल्य रतन* 208 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *तीव्र पुरुषार्थी के लक्षण* वह “कब” शब्द नहीं बोलते, “अब* बोलेंगे। क्योंकि संगमयुग का एक सेकंड पद्मों की कमाई करने वाला भी है और गंवाता भी है। *परिस्थिति और स्थिति* जब सर्वशक्तिवान के संतान हो तो क्या ईश्वरीय शक्ति परिस्थिति को नहीं बदल सकती!? अगर परिस्थितियों
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Amulya Ratan – 207

*अमूल्य रतन* 207 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *संकल्प के आधार पर सृष्टि* अगर *संकल्प पावरफुल* है तो अपने ही संकल्प के आधार पर अपने लिए *सतयुगी सृष्टि* लाएंगे। *संकल्प कमजोर* हैं तो अपने लिए *त्रेतायुगी सृष्टि* लाते हैं। *अपने आप से दृढ़ प्रतिज्ञा करो* कि आज से फिर यह बातें कभी नहीं रहेंगी।
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Amulya Ratan – 206

*अमूल्य रतन* 206 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *मन, वाणी, कर्म तीनों शक्तिशाली हो जाए इसके लिए* कमजोरी के अगर संकल्प चलते हैं तो वाणी और कर्म में आ जाते हैं। संकल्प में ही खत्म कर देंगे तो वाणी, कर्म में नहीं आएंगे। *बांधेलीयों के लिए* घर बैठे भी चरित्रों का अनुभव कर सकते
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Amulya Ratan – 205

*अमूल्य रतन* 205 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *ईश्वरीय स्नेह* _भविष्य संबंध जोड़ने का साधन है *स्नेह रुपी धागा।*_ जोड़ने का समय और स्थान यह है। *ईश्वरीय स्नेह भी तब जुड़ सकता है* जब अनेक के साथ स्नेह समाप्त हो जाता है। *तीव्र पुरुषार्थी अर्थात्* – जो संकल्प में भी माया से हार ना
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Amulya Ratan – 204

*अमूल्य रतन* 204 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *बच्चों का बापदादा से प्रश्न* – “बच्ची यदि ज्ञान में नहीं चलती है तो क्या करें?” उत्तर: शादी करनी ही पड़े। *उन्हों की कमजोरी भी अपने ऊपर से मिटानी है।* साक्षी हो मजबूरी भी करना होता है। वह हुआ फ़र्ज। एक होता है लगन से करना,
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Amulya Ratan – 203

*अमूल्य रतन* 203 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *सफलता के सितारे या पुरुषार्थ के सितारे?* अगर यही समझते रहेंगे कि हम तो पुरुषार्थी है तो छोटी-छोटी गलतियों पर अपने को माफ कर देते हो। जब *स्वयं सफलता स्वरूप* बनेंगे तब दूसरी आत्माओं को *सफलता का मार्ग बता सकेंगे।* अगर अंत तक पुरुषार्थी कहकर चलते
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Amulya Ratan – 202

*अमूल्य रतन* 202 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *मधुबन का अर्थ* मधुबन का विशेष गुण है मधुरता। *मधु अर्थात् मधुरता।* स्नेही। जितना स्नेही होंगे उतना बेहद का वैराग्य होगा। यह है मधुबन का अर्थ। _*अति स्नेही और इतना ही बेहद की वैराग्य वृत्ति।*_ *मधुबन के विशेष गुणों को जीवन में धारण करने से* 01.
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Amulya Ratan – 201

*अमूल्य रतन* 201 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* *याद के यात्रा की संपूर्ण स्टेज* शरीर में होते हुए भी उपराम अवस्था तक पहुंचना है। *बिल्कुल देह और देही अलग महसूस हो। उसको कहा जाता है याद के यात्रा की संपूर्ण स्टेज व योग की प्रैक्टिकल सिद्धि।* ऐसी स्थिति को कर्मातीत अवस्था कहा जाता है।
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Amulya Ratan – 200

*अमूल्य रतन* 200 अव्यक्त मुरली दिनांक: *26 जनवरी 1970* शीर्षक: *याद के यात्रा की सम्पूर्ण स्टेज* *स्वयं को मेहमान समझने में भी बाप समान* “यूं तो आप सभी भी अपने को मेहमान समझते हो लेकिन आपके और बाप के समझने में फ़र्क है।” मेहमान उसको कहा जाता है जो आता है और जाता है। वह
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Amulya Ratan – 199

*अमूल्य रतन* 199 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* *चार्ट चेक करने की विधि* सिर्फ रात को चार्ट चेक करते हो तो सारा दिन तो ऐसे ही बीत जाता है। _हर घंटे के हर कर्म में चेकिंग चाहिए।_ *संपूर्णता का लक्ष्य रखने से संपूर्ण राज्य में आएंगे।* जितने ज्यादा प्रजा बनाएंगे उतना नजदीक आएंगे और
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Amulya Ratan – 198

*अमूल्य रतन* 198 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* सोचो, एक ही पढ़ाई, एक ही पढ़ाने वाला, फिर भी कोई विजयी बन गए हैं, कोई बन रहे हैं, यह फर्क क्यों? *स्मृति, विस्मृति के खेल में विजयी बनने के लिए* *अगर कभी स्मृति, कभी विस्मृति रहा तो अंत समय भी विस्मृति हो सकती है।* जैसे
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Amulya Ratan – 197

*अमूल्य रतन* 197 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* *हम सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे हैं यह संजीवनी बूटी* को सदैव साथ रखने से माया वार नहीं करेगी। *ब्राह्मण कुल की रीति* सदैव यही कोशिश करनी है कि *हमारी चलन द्वारा कोई को भी दुःख ना हो।* _मेरी चलन, संकल्प, वाणी, हर कर्म सुखदाई हो।_ जो
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Amulya Ratan – 196

*अमूल्य रतन* 196 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* *परिस्थितियां भी अब दिखला रही है कि पुरुषार्थ कैसा करना है।* जब परीक्षाएं शुरू हो गई तो फिर पुरुषार्थ नहीं कर सकेंगे। पेपर के पहले पहुंच गए हो यह भी अपना सौभाग्य समझना जो ठीक समय पर पहुंच गए हो। फिर गेट बंद हो जाएगा। *_शुरू
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Amulya Ratan – 195

*अमूल्य रतन* 195 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* *संपूर्ण हक लेने के लिए संपूर्ण आहुति देनी है।* जब कोई भी यज्ञ रचा जाता है तो देखा जाता है, अगर आहुति कम होगी तो यज्ञ सफल नहीं हो सकता। *यहां भी जितना और इतना का हिसाब है।* इसलिए जो भी कुछ आहुति में देना है
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Amulya Ratan – 194

*अमूल्य रतन* 194 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* *पुरुषार्थ में जंप मारना अर्थात्* एक सेकंड में बहुत बातों को परिवर्तन करना। *बापदादा के स्नेह का फ़र्ज़* जो भी बापदादा के गुण हैं वह स्वयं में धारण करना। एक भी गुण की कमी ना रहे। _जब सर्व गुण अपने में धारण करेंगे तब भविष्य में
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Amulya Ratan – 193

*अमूल्य रतन* 193 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 जनवरी 1970* शीर्षक: *यादगार कायम करने की विधि* *मुख्य सब्जेक्ट अव्यक्त स्थिति* व्यक्त में रहते हुए कर्म करते भी अव्यक्त स्थिति में स्थित रहें। इस सब्जेक्ट में पास होना है। *अव्यक्त स्थिति की प्राप्ति के लिए* पुरुषार्थ की लाइन में कोई रुकावट हो तो उसको मिटाकर लाइन क्लियर
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Amulya Ratan – 192

*अमूल्य रतन* 192 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* ऊंच ते ऊंच बाप के हम ही हकदार हैं। यह याद रहने से सदैव एकरस अवस्था रहेगी। *फ़रिश्तेपन का अनुभव* ज्यादा समय अपने को फरिश्ते समझो। 01. फरिश्तों की दुनिया में रहने से बहुत ही *हल्कापन* अनुभव होगा। जैसे कि सूक्ष्मवतन को ही स्थूलवतन में बसा
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Amulya Ratan – 191

*अमूल्य रतन* 191 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *माया का वार ना हो इसके लिए* याद की अग्नि जली हुई होगी तो माया आ नहीं सकेगी। यह लगन की अग्नि बुझनी नहीं चाहिए। याद की यात्रा में सफल होंगे तो मन की भावनाएं भी शुद्ध हो जाएगी। *सर्व संबंधों से मुक्त होने के लिए*
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Amulya Ratan – 190

*अमूल्य रतन* 190 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *ईश्वरीय नॉलेज की धारणा* धारणा से कर्म ऑटोमेटिकली हो जाता है। *धारणा का अर्थ ही है उस बात को बुद्धि में समाना।* जब नॉलेज को बुद्धि में समाते हो तो फिर बुद्धि के डायरेक्शन अनुसार कर्मेंद्रीय भी वही करती है। सदैव यही एम रखनी चाहिए हम
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Amulya Ratan – 189

*अमूल्य रतन* 189 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *समय से पहले अव्यक्त स्थिति का अनुभव* ऐसे नहीं सोचना कि अभी समय पड़ा है, पुरुषार्थ कर लेंगे। *समय से पहले इस स्थिति का अनुभव प्राप्त करना है।* _अगर समय आने पर इस स्थिति का अनुभव करेंगे तो समय के साथ स्थिति भी बदल जाएगी।_ *समय
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Amulya Ratan – 188

*अमूल्य रतन* 188 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *तीव्र पुरुषार्थी अर्थात्* संकल्प, वाणी, कर्म तीनों एक समान हो उनको तीव्र पुरुषार्थी कहेंगे। *बाप को याद करने से* 01. ज्ञान आपेही इमर्ज हो जाता है। 02. हर कार्य में बाप की मदद मिल जाती है। 03. याद की इतनी शक्ति है जो अनुभव यहां(मधुबन) पाते
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Amulya Ratan – 187

*अमूल्य रतन* 187 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *कमज़ोरी को मिटाने के लिए* कोशिश शब्द को मिटाना है। मैं शिवशक्ति हूंँ समझ कर चलना। शिवशक्ति सभी कार्य कर सकती हैं। *जब तक कोशिश शब्द है तब तक अव्यक्त कशिश अपने में आ नहीं सकती।* *संशय* लाने से *शक्ति कम* हो जाती है। *निश्चय बुद्धि*
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Amulya Ratan – 186

*अमूल्य रतन* 186 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* जितना *स्वयं को बाप के आगे समर्पण* करते हैं उतना ही *बाप भी उन बच्चों के आगे समर्पण* होते हैं। अर्थात् जो बाप का खज़ाना है वह स्वतः ही उनका बन जाता है। समर्पण करना और कराना यही ब्राह्मणों का धंधा है। *निश्चय की निशानी –
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Amulya Ratan – 185

*अमूल्य रतन* 185 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* *यहां देना और वहां लेना* जितना औरों को बाप का परिचय देंगे उतना ही अपना भविष्य प्रालब्ध बनाएंगे। इस ज्ञान का प्रत्यक्ष फल और भविष्य के प्रालब्ध प्राप्ति का अनुभव करना है। *वर्तमान के प्राप्ति के आधार पर ही भविष्य को समझ सकते हो।* *जगतमाता व
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Amulya Ratan – 184

*अमूल्य रतन* 184 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* शीर्षक: *ब्राह्मणों का मुख्य धंधा – समर्पण करना और कराना* *अविनाशी सुख की प्राप्ति के लिए* _अविनाशी आत्मिक स्थिति में रहो।_ *अव्यक्त स्थिति से होने वाली प्राप्तियां* _अव्यक्ति आनंद, अव्यक्ति स्नेह, अव्यक्ति शक्ति।_ यह वरदान बिगर मेहनत के सहज ही मिल जाता है। *वरदान को अविनाशी
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Amulya Ratan – 183

*अमूल्य रतन* 183 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 जनवरी 1970* शीर्षक: *ब्राह्मणों का मुख्य धंधा – समर्पण करना और कराना* *श्रीमत पर चलने की निशानी* श्रीमत पर पूर्ण रीति से चलना अर्थात् *हर कर्म में अलौकिकता लाना।* यह चेक करते रहना कि अलौकिक कर्म कितने किए हैं और लौकिक कर्म कितने किए है? *अलौकिक कर्म औरों
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Amulya Ratan – 182

*अमूल्य रतन* 182 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *खुशी का दीपक सदैव जगा रहे इसके लिए दो बातें* ज्ञान घृत और योग है बत्ती। *ऐसे मत समझना कि* हम तो 15 दिन के बच्चे हैं, _बिछड़े हुए जो होते हैं वह आने से ही तीव्र पुरुषार्थ में लग जाते हैं।_ *अचलघर – तुम्हारा यादगार*
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Amulya Ratan – 181

*अमूल्य रतन* 181 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *त्याग से ही भाग्य* *त्याग करने के बाद मन्सा में भी संकल्प उत्पन्न नहीं होना चाहिए।* जैसे जब कोई बलि चढ़ता है तो उसमें अगर ज़रा भी चिल्लाया व आंखों से बूंद निकली तो उनको देवी के आगे स्वीकार नहीं कराएंगे। झाटकू अर्थात एकदम से खत्म।
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Amulya Ratan – 180

*अमूल्य रतन* 180 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *उस एक के प्यारे बनने के लिए* कैसी भी परिस्थिति आये, लेकिन अपने को मजबूत रखना है। एकमत से एक रिजल्ट होगी। *जो एकमत होते हैं वही एक को प्यारे लगते हैं।* *मधुबन – बाप का घर सो अपना घर* जैसे आत्मा परमधाम की निवासी, सर्व
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Amulya Ratan – 179

*अमूल्य रतन* 179 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *फॉलो फादर* जैसे साकार में अथक और एकरस, एग्जांपल बन कर दिखाया। ऐसे औरों के प्रति एग्जांपल बनना। *सर्विस का समय न मिले तो* चरित्र भी सर्विस दिखला सकता है। *आपके चरित्र उस विचित्र बाप की याद दिलाएं।* _यह नयन उस विचित्र का चरित्र दिखलाए_ ऐसा
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Amulya Ratan – 178

*अमूल्य रतन* 178 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *सदा साथ रहने वाला युगल* यहां सदैव युगल रूप में रहेंगे तो वहां भी युगल रूप में राज्य करेंगे। अगर युगल साथि हो तो माया आ नहीं सकेगी। युगल मुहूर्त समझना यही बड़े ते बड़ी युक्ति है। *शिव बाबा को अपने से कभी अलग नहीं करना।*
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Amulya Ratan – 177

*अमूल्य रतन* 177 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *बापदादा द्वारा प्रेरणा व शुद्ध रेस्पांस के लिए* _व्यर्थ संकल्पों की कंट्रोलिंग पावर चाहिए।_ व्यर्थ संकल्प चलने के कारण जो बापदादा द्वारा ओरिजिनल प्रेरणा कहे व शुद्ध रेस्पांस मिलता है वह मिक्स हो जाता है। *जिनके व्यर्थ संकल्प नहीं चलते वह अपने अव्यक्त स्थिति को ज्यादा
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Amulya Ratan – 176

*अमूल्य रतन* 176 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* *सर्विस करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ मुख्य बिंदु* 01. कोई भी *कार्य करने से पहले वायुमंडल को अव्यक्त बनाना* आवश्यक है। यही मुख्य सजावट है। 02. *कुछ दिन पहले से ही* यह वायुमंडल बनाना है। _वायुमंडल को शुद्ध करेंगे तो नवीनता देखने में आएगी।_ 03.
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Amulya Ratan – 175

*अमूल्य रतन* 175 अव्यक्त मुरली दिनांक: *23 जनवरी 1970* शीर्षक: *सेवा में सफलता पाने की युक्तियां* *सम्मेलन की सफलता के लिए* 01. वह स्पीकर्स और ब्राह्मण स्पीकर्स दूर से ही अलग देखने में आए। 02. आपसे ऐसे अनुभव हो जैसे कि अशरीरी, आवाज़ से परे न्यारे स्थिति में स्थित होकर बोल रहे हैं। 03. चित्रों
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Amulya Ratan – 174

*अमूल्य रतन* 174 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970* *अशरीरीपन का अनुभव करने के लिए* ईज़ी और एलर्ट। *लास्ट सो फास्ट, फास्ट हो फर्स्ट* बापदादा बच्चों को कोई नया नहीं देख रहे हैं। क्योंकि जब तीनों ही कालों को जानते हैं तो नया कैसे कहेंगे। *इसलिए सभी अति पुराने हैं। कितने पुराने हैं वह हिसाब
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Amulya Ratan – 173

*अमूल्य रतन* 173 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970* *संपूर्णता में भी नंबरवार* “माला के 108 मणके जो हैं, तो नंबर वन मणका और 108वाँ मणका दोनों को संपूर्ण कहेंगे कि नहीं?” *विजयी रत्न अर्थात् अपने नंबर प्रमाण संपूर्णता को प्राप्त।* उनके लिए सारे ड्रामा के अंदर वही संपूर्णता की फर्स्ट स्टेज है। सतयुग में
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Amulya Ratan – 172

*अमूल्य रतन* 172 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970* *अविनाशी सौगात – दो बातें याद रखना* शुभ चिंतन और शुभचिंतक। *शुभ चिंतन से अपनी स्थिति* बना सकेंगे और *शुभचिंतक बनने से* अनेक *आत्माओं की सेवा* कर सकेंगे। *बापदादा और बच्चों के स्नेह में अंतर* कोई कोई बच्चे सोचते होंगे कि हम सभी का स्नेह बापदादा
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Amulya Ratan – 171

*अमूल्य रतन* 171 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970* शीर्षक: *अंतिम कोर्स – मन के भावों को जानना* *रूहानी स्थिति में स्थित हो रूह रूहान करने के लिए* सदैव बुद्धि की लाइन क्लियर हो। कोई भी अपनी बुद्धि में व मन में डिस्टरबेंस होगा व लाइन क्लियर नहीं होगी तो एक-दो के संकल्प और भाव
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Amulya Ratan – 170

*अमूल्य रतन* 170 अव्यक्त मुरली दिनांक: *22 जनवरी 1970* शीर्षक: *अंतिम कोर्स – मन के भावों को जानना* *आवाज से परे ले जाने की ड्रिल* अव्यक्त दुनिया में आवाज नहीं है। इसलिए बाप सभी बच्चों को आवाज से परे ले जाने की ड्रिल सिखला रहे हैं। यह अभ्यास वर्तमान समय बहुत आवश्यक है। *यही अंतिम
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Amulya Ratan – 169

*अमूल्य रतन* 169 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970* *विल पावर आने का साधन* जो भी बुराई है अंदर व बाहर उसे संपूर्ण विल करना है। *बापदादा को पहले स्वीकार कौन होता है?* सोचा और किया अर्थात् झाटकू। *जो पहले स्वीकार होता है उनको नंबर वन की शक्ति मिलती है* जो बाद में होते हैं
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Amulya Ratan – 168

*अमूल्य रतन* 168 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970* *समय की सूचना* अब वह समय नज़दीक आ रहा है जिसमें आपका भी कल्प पहले वाला चित्र प्रत्यक्ष होना है। *अनेक प्रकार की समस्याओं के परिवर्तन के लिए अंगुली देनी है* इस वर्ष में _मन की समस्याएं, तन की समस्याएं, वायुमंडल की समस्याएं,_ सर्व समस्याओं के
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Amulya Ratan – 167

*अमूल्य रतन* 167 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970* शीर्षक: *संपूर्ण विल करने से विल पावर की प्राप्ति* *अव्यक्त पालना के पहले वर्ष का पेपर* इस पेपर में निश्चय की परीक्षा हुई। अगला पेपर – *हर एक के स्नेह, सहयोग और शक्ति का* जैसे पहले भी निमित्त बना हुआ साकार तन का सहारा था वैसे
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Amulya Ratan – 166

*अमूल्य रतन* 166 अव्यक्त मुरली दिनांक: *18 जनवरी 1970* शीर्षक: *संपूर्ण विल करने से विल पावर की प्राप्ति* *संपूर्णता के समीप पहुंचने की परख* यह है कि वह सभी बातों को सभी रीति से, सभी रूपों से परख सकते हैं। *चित्र – विचित्र – चरित्र* विचित्र(आत्मा) के साथ चित्र(शरीर) को याद करने से खुद भी
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Amulya Ratan – 164

*अमूल्य रतन* 164 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 दिसम्बर 1969* *विश्व महाराजन के संस्कार* जैसे बाप सर्व के स्नेही और सर्व उनके स्नेही है। वैसे एक एक के अंदर से स्नेह के फूल बरसेंगे। जब स्नेह के फूल यहांँ बरसेंगे तब जड़ चित्रों पर भी फूल बरसेंगे। तो यहां अपने को देखो *मुझ आत्मा के ऊपर
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Amulya Ratan – 163

*अमूल्य रतन* 163 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 दिसम्बर 1969* शीर्षक: *अनासक्त बनने के लिए तन और मन को अमानत समझो* *संगम युग की संपूर्ण स्टेज की फीचर्स* बिल्कुल हल्कापन होता है। _संकल्पों में भी हल्कापन, वाणी में भी हल्कापन, कर्म करने में भी हल्कापन और संबंध में भी हल्कापन।_ इन *चारों बातों में हल्कापन होना
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Amulya Ratan – 162

*अमूल्य रतन* 162 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 दिसम्बर 1969* शीर्षक: *अनासक्त बनने के लिए तन और मन को अमानत समझो* *संगम युग की संपूर्ण स्टेज की फीचर्स* बिल्कुल हल्कापन होता है। _संकल्पों में भी हल्कापन, वाणी में भी हल्कापन, कर्म करने में भी हल्कापन और संबंध में भी हल्कापन।_ इन *चारों बातों में हल्कापन होना
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Amulya Ratan – 161

*अमूल्य रतन* 161 अव्यक्त मुरली दिनांक: *25 दिसम्बर 1969* शीर्षक: *अनासक्त बनाने के लिए तन और मन को अमानत समझो* *नई रौनक लाने के लिए* हर संकल्प, हर कर्म और वाणी में रूहानियत हो। *रूहानियत सदा कायम रहे उसके लिए* 01. *अपने को और दूसरों को* जिनके सर्विस के लिए हम निमित्त हैं उन्हों को
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Amulya Ratan – 160

*अमूल्य रतन* 160 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *फाइनल पेपर* 01. किस-किस क्वेश्चन पर कितने मार्क्स मिलते हैं? 02. अंत तक सर्विस का शो। (सर्विसएबल मृत्यु) 03. आदि से अंत तक जो अवस्था चलती आई है उसमें *कितनी बार फेल हुए हैं, कितनी बार भी विजयी बने और विजय प्राप्त की तो कितने समय
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Amulya Ratan – 159

*अमूल्य रतन* 159 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *सर्विस में नवीनता* उन्हों के वाइब्रेशन अपने में नहीं आना, *अपने वाइब्रेशन से उन्हों को अलौकिक बनाना* – यह नवीनता लानी है। *सर्विस के प्रति संबंध में रहते हुए भी न्यारे रहने का जो मंत्र है* – उसको नहीं भूलना। *सर्विस के कारण अपने को हल्का
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Amulya Ratan – 158

*अमूल्य रतन* 158 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *फाइनल पेपर – हर समय निर्बन्धन।* सर्विस के बंधन से भी निर्बन्धन। *इस पेपर में पास होना अर्थात्* 01. अव्यक्त स्थिति का होना। 02. पता चलेगा कि कहांँ तक उस जीवन की नैया की रस्सियां छोड़ी है। जैसे कोई और बंधन से मुक्त होते हो वैसे
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Amulya Ratan – 157

*अमूल्य रतन* 157 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *फाइनल पेपर – हर समय निर्बन्धन।* सर्विस के बंधन से भी निर्बन्धन। *इस पेपर में पास होना अर्थात्* 01. अव्यक्त स्थिति का होना। 02. पता चलेगा कि कहांँ तक उस जीवन की नैया की रस्सियां छोड़ी है। जैसे कोई और बंधन से मुक्त होते हो वैसे
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Amulya Ratan – 156

*अमूल्य रतन* 156 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *एक बात रह गई है उस एक बात के ऊपर ही नंबर है* कोई भी डायरेक्शन, कभी भी किसी रूप से, कहांँ के लिए भी निकले और कितने समय में भी निकले, *एक सेकंड में तैयार होने का डायरेक्शन भी निकल सकता है।* तो ऐसे एवररेडी
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Amulya Ratan – 155

*अमूल्य रतन* 155 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 दिसम्बर 1969 *एक बात रह गई है उस एक बात के ऊपर ही नंबर है* कोई भी डायरेक्शन, कभी भी किसी रूप से, कहांँ के लिए भी निकले और कितने समय में भी निकले, *एक सेकंड में तैयार होने का डायरेक्शन भी निकल सकता है।* तो ऐसे एवररेडी
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Amulya Ratan – 154

*अमूल्य रतन* 154 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 दिसम्बर 1969 *संस्कारों को अपने अंदर समाने के लिए* एक तो *गहराई में जाना* होता है और अंदर दबाना होता है। कूटना पड़ता है। कूटना अर्थात् *हर एक बात को महीन बनाना।* जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को प्रत्यक्ष करेंगे। *आपकी प्रत्यक्षता बाप के साथ ही
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Amulya Ratan – 153

*अमूल्य रतन* 153 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 दिसम्बर 1969 *संस्कारों को अपने अंदर समाने के लिए* एक तो *गहराई में जाना* होता है और अंदर दबाना होता है। कूटना पड़ता है। कूटना अर्थात् *हर एक बात को महीन बनाना।* जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे उतना खुद को प्रत्यक्ष करेंगे। *आपकी प्रत्यक्षता बाप के साथ ही
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Amulya Ratan – 151

*अमूल्य रतन* 151 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 दिसम्बर 1969 शीर्षक: *सरल स्वभाव से बुद्धि को विशाल और दूरांदेशी बनाओ* *सरल स्वभावी बनने से* 01. *समझने की शक्ति* आएगी। 02. सबका *स्नेही और सहयोगी* होगा। 03. सभी द्वारा *सहयोग* भी प्राप्त होगा। 04. *माया कम सामना* करेगी। 05. सर्व का *प्रिय* होगा। 06. *व्यर्थ संकल्प नहीं*
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Amulya Ratan – 150

*अमूल्य रतन* 150 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 दिसम्बर 1969 शीर्षक: *सरल स्वभाव से बुद्धि को विशाल और दूरांदेशी बनाओ* *एवररेडी आत्माओं की निशानी* बुलावा हुआ और एक सेकंड में अपना रहा हुआ सब कुछ *समेटना और हाई जम्प देना।* अभी एवररेडी की लाइन चालू हो गई है। *इस लाइन के अंदर किसी का भी नंबर
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Amulya Ratan – 149

*अमूल्य रतन* 149 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *सिर्फ संदेश देना सर्विस नहीं* संदेश देना अर्थात् उनको अपने संबंधी बनाना। *अपना संबंधी बनाना अर्थात् शिव वंशी ब्रह्माकुमार कुमारी बनाना।* यह है अपना संबंधी बनाना। *अपना संबंधी बनाने के लिए* अपना संबंधी तब बना सकेंगे जब उनको स्नेही बनाएंगे। सिर्फ संदेश देना तो चींटी मार्ग
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Amulya Ratan – 148

*अमूल्य रतन* 148 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *धारणा के लिए चार शक्तियां* 01. *समेटने* की शक्ति अर्थात् शार्ट करने की शक्ति। 02. *समाने* की शक्ति। 03. *सहन* करने की शक्ति। 04. *सामना* करने की शक्ति। *सामना, बापदादा व दैवी परिवार को नहीं।* माया की शक्ति का सामना करने की शक्ति। इन चार शक्तियों
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Amulya Ratan – 147

*अमूल्य रतन* 147 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *पुरुषार्थी जीवन की भूलें* *पुरुषार्थी को भूलें करने की छुट्टी नहीं है। लेकिन आजकल ऐसे समझ बैठे हैं कि पुरुषार्थी अर्थात् भूलें माफ है।* “यह ऐसा करता है तो हमको करना पड़ता है।” यह ज्ञानी के बदले अज्ञानी हो गया। यह छोटी-छोटी बातें उल्टी रूप में
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Amulya Ratan – 146

*अमूल्य रतन* 146 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *बापदादा और दैवी परिवार के स्नेही सहयोगी बनने के लिए* *मददगार और वफादार।* जब यह दोनों बातें होगी तब बापदादा और परिवार स्नेही सहयोगी बन सकेंगे। *सहयोगी की परख* वह परिवार और बापदादा के विचारों और जो कर्म होते हैं उनमें एक दो के समीप होंगे।
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Amulya Ratan – 145

*अमूल्य रतन* 145 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *बापदादा का सहयोग* बापदादा तो किसी ना किसी रूप से साथ निभाने अर्थात् अंगुली पकड़ने की कोशिश करते रहते हैं। इतने तक जो बिल्कुल सांँस निकलने तक, सांँस निकलने वाला भी होता है तो भी जान भरते हैं। *सहयोग प्राप्त करने के लिए* स्नेही को सहयोग
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Amulya Ratan – 144

*अमूल्य रतन* 144 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *लोगों को प्रिय नहीं लगने का कारण* सिर्फ देह के संबंधियों से न्यारे होने की कोशिश करते हो तो वह उल्हना देते हैं। अपने शरीर से न्यारे नहीं हुए हो। *जब तक देह के भान से न्यारे नहीं होंगे तब तक उल्हना मिलती रहेगी।* *_अपनी दृष्टि,
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Amulya Ratan – 143

*अमूल्य रतन* 143 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *शीर्षक: लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की युक्तियां* *लौकिकता में अलौकिकता* संबंध – अलौकिक संबंधी भी ब्रह्मा वंशी है लेकिन वह नजदीक संबंध के हैं, वह दूर के हैं। कोई भी कार्य करते हो तो समझो इन शारीरिक पांव द्वारा लौकिक कार्य की तरफ जा
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Amulya Ratan – 142

*अमूल्य रतन* 142 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 नवंबर 1969 *शीर्षक: लौकिक को अलौकिक में परिवर्तन करने की युक्तियां* *संपूर्ण समर्पण अर्थात् – दृष्टि और वृत्ति में रूहानियत आना* *दृष्टि और वृत्ति को रूहानी बनाने के लिए* जिस्म को नहीं देखते हैं तो दृष्टि शुद्ध और पवित्र हो जाती हैं। जड़ चीज़ को आंखों से देखो
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Amulya Ratan – 141

*अमूल्य रतन* 141 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 नवंबर 1969 *अट्रैक्टिव बनने के लिए* 01. पहले अपने में विशेषताएं भरनी होगी। 02. हर्षित रहना पड़ेगा। हर्षित का अर्थ ही है अतीद्रिय सुख में झूमना। *हर्षित रहने के लिए* 01. *ज्ञान का स्मरण कर अव्यक्त स्थिति का अनुभव* करना है। मन और तन दोनों से हर्षित रहना
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Amulya Ratan – 140

*अमूल्य रतन* 140 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 नवंबर 1969 *बाप के लिए सारी दुनिया में लायक बच्चे ही श्रेष्ठ सौगात है।* जो जैसा गिफ्ट बनेगा उसे वैसा ही लिफ्ट मिलेगा। और इस सृष्टि के शोकेस में सबसे आगे होगा। *सृष्टि के शोकेस में आगे आने के लिए* एक तो अपने को *अट्रैक्टिव* बनाना पड़ेगा और
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Amulya Ratan – 139

*अमूल्य रतन* 139 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 नवंबर 1969 शीर्षक: *फर्श से अर्श पर जाने की युक्तियां* *अर्श से फर्श पर फिर फर्श से अर्श पर* गृहस्थ व्यवहार में जो उल्टी सीढ़ी चढ़ी है उस उल्टी सीढ़ी से नीचे उतरना है। *क्योंकि उल्टी सीढ़ी से उतरे बिना चढ़ नहीं सकते।* उल्टी-सीढ़ी का कुछ न कुछ
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Amulya Ratan – 138

*अमूल्य रतन* 138 अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 नवंबर 1969 शीर्षक: *बापदादा की उम्मीदें* *वैल्युएबल बनने के लिए* जितना हर बात में अंदर जाएंगे तब रत्न देखने में आएंगे और हर एक बात की वैल्यू का पता पड़ेगा। जितना *ज्ञान की वैल्यू, सर्विस की वैल्यू का मालूम होगा उतना आप वैल्युएबल रत्न बनेंगे।* *वैल्युएबल रत्न बनने
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Amulya Ratan – 137

*अमूल्य रतन* 137 अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 नवंबर 1969 शीर्षक: *बापदादा की उम्मीदें* *सारे विश्व के श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का सौभाग्य प्राप्त होता है।* *बापदादा की बच्चों से उम्मीदें* एक एक अनेकों को परिचय देकर लायक बनाए। क्वांटिटी बनाना सहज है लेकिन क्वालिटी वाले बनाना यह उम्मीद बापदादा सितारों से रखते
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Amulya Ratan – 136

*अमूल्य रतन* 136 अव्यक्त मुरली दिनांक: 25 अक्टूबर 1969 *बुद्धि का योग एक बाप के साथ लगाने से होने वाली प्राप्तियां* 01. सारा ज्ञान आ जाता है। 02. स्मृति भी आ जाती है। 03. संबंध भी आ जाता है। 04. एकरस स्थिति भी आ जाती है। *हमारे कर्म और हमारी चलन औरोंको पढ़ाई कराये।* *कोई
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Amulya Ratan – 135

*अमूल्य रतन* 135 अव्यक्त मुरली दिनांक: 25 अक्टूबर 1969 *तीव्र पुरुषार्थी कभी विनाश की डेट का नहीं सोचते।* *संपूर्णता के संस्कार* बहुत समय से अगर संपूर्णता के संस्कार होंगे तो अंत में भी संपूर्ण हो सकेंगे। अगर *अंत में बनेंगे तो फिर बापदादा भी अंत में थोड़ा दे देंगे।* जो अभी करते हैं उनको बापदादा
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Amulya Ratan – 134

*अमूल्य रतन* 134 अव्यक्त मुरली दिनांक: 25 अक्टूबर 1969 *कंट्रोलिंग पावर की कमी को मिटाने के लिए* अपनी बुद्धि को कंट्रोल करने के लिए कई बातों को हल्का करना पड़ता है। सभी से हल्की होती है आत्मा (बिंदी)। *कंट्रोल करने के लिए फुल स्टॉप करना होता है।* जो बीत चुका उसको भूल जाओ। देखा, किया;
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Amulya Ratan – 133

*अमूल्य रतन* 133 अव्यक्त मुरली दिनांक: 25 अक्टूबर 1969 *बहुत समय के विजयी बनने की परिवर्तन में चेक करने के लिए मुख्य बातें* 01. आकर्षण मूर्ति बनना है और 02. हर्षित मुख। *आकर्षण मूर्ति बनने के लिए* *रूहानी स्थिति* में एक दो को आकर्षण कर सकते हैं। आकर्षण करने वाला रूह है। *मुख्य कमी –
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Amulya Ratan – 132

*अमूल्य रतन* 132 अव्यक्त मुरली दिनांक: 25 अक्टूबर 1969 शीर्षक: *माला का मणका बनने के लिए विजयी बनो* *परिवर्तन के साथ परिपक्वता* बाप अविनाशी है, जो खजाना मिला है वह भी अविनाशी है, जो प्रालब्ध मिलती है वह भी अविनाशी है। तो *परिवर्तन भी अविनाशी लाओ।* *झाटकू पुरुषार्थी बनो* शक्तियां व देवियां ही बिगर झाटकू
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Amulya Ratan – 131

*अमूल्य रतन* 131 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969 *तकदीर और तदबीर* जब किसी को देखते हो तो हर एक की तस्वीर से उनकी तदबीर, उनके पुरुषार्थ का जो विशेष गुण हैं, वही देखो। *हर एक के पुरुषार्थ में विशेष गुण ज़रूर होता है।* एक होता है गुण और दूसरा होता है गुणा (कमी, अवगुण)।
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Amulya Ratan – 130

*अमूल्य रतन* 130 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969 *यज्ञ कुंड (मधुबन) का महत्व* जो भी स्थान है सभी यज्ञ ही हैं फिर भी यज्ञ कुंड का महत्व है। गंगा और यमुना दोनों का महत्व है लेकिन फिर भी संगम का महत्व ज्यादा है। *_जैसे विशेष स्थानों का विशेष महत्व होता है वैसे मधुबन का
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Amulya Ratan – 129

*अमूल्य रतन* 129 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969 *तंदुरुस्ती के लिए अलौकिक ड्रिल* एक सेकंड में साकार से निराकारी बनने की प्रैक्टिस जो जितना करता है उतना ही तंदुरुस्त अर्थात् *माया की व्याधि नहीं आती और शक्ति स्वरूप भी रहता है।* *समस्या का कारण* प्रवृत्ति में रहने के कारण जहाँ न जोड़ना है वहांँ
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Amulya Ratan – 128

*अमूल्य रतन* 128 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969 *संस्कार उत्पन्न क्यों होते हैं?* सिर्फ अपनी विस्मृति इन सब बातों को उत्पन्न करती है। चाहे पिछले संस्कार, चाहे पिछले कर्म बंधन, चाहे वर्तमान की भी, जो भी होता है उनका *मूल कारण अपनी विस्मृति है।* _विस्मृति के कारण सभी व्यर्थ बातें सहज को मुश्किल बना
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Amulya Ratan – 127

*अमूल्य रतन* 127 (29 01 2019) अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 अक्टूबर 1969 शीर्षक: *बिंदु और सिंधु की स्मृति से संपूर्णता* *संपूर्णता के लिए दो शब्द* *मैं बिंदु हूंँ और बाप भी बिंदु है*, लेकिन बिंदु के साथ साथ सिंधु है। तो *बिंदु और सिंधु यह बाप और बच्चे का परिचय है।* *एक बिंदु की याद
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Amulya Ratan – 126

*अमूल्य रतन* 126 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969 *समय की चेतावनी* फाइनल पेपर अनेक प्रकार के भयानक और न चाहते हुए भी अपनी तरफ आकर्षित करने वाली परिस्थितियों के बीच होंगे। उनकी भेंट में *जो आजकल की परिस्थितियां हैं वह कुछ नहीं है।* जो अंतिम परिस्थितियां आने वाली है *उन परिस्थितियों के बीच पेपर
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Amulya Ratan – 125

*अमूल्य रतन* 125 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969 *मेहनत के फल की परख* हर एक सेवाकेंद्र से समाचार आना चाहिए *यह तो अवतरित होकर के इस पृथ्वी पर पधारे हैं।* ऐसा समाचार आए तब समझो कि फल निकल रहा है। जब ऐसी स्थिति होगी तब बाप का प्रभाव दुनिया के सामने आएगा। *एक स्लोगन
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Amulya Ratan – 124

*अमूल्य रतन* 124 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969 जितना *बुद्धि की सफाई* होगी उतना ही *योगयुक्त* अवस्था में रह सकेंगे। बुद्धि की सफाई अर्थात बुद्धि को *जो महामंत्र मिला हुआ है उसमें बुद्धि का मग्न रहना।* *हर चलन में अलौकिकता नज़र आने के लिए* हमेशा यह समझना हम इस शरीर में अवतरित हुए हैं
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Amulya Ratan – 123

*अमूल्य रतन* 123 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969 *परखने की शक्ति को तीव्र बनाने के लिए साधन* आत्मिक स्थिति के साथ-साथ यथार्थ रूप से वही परख सकता है जिनकी बुद्धि में ज्यादा व्यर्थ संकल्प नहीं चलते होंगे। बुद्धि का – एक के ही याद में, एक के ही कार्य में और एकरस स्थिति में
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Amulya Ratan – 122

*अमूल्य रतन* 122 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 अक्टूबर 1969 शीर्षक: *परखने की शक्ति को तीव्र बनाओ* *परखने की प्रैक्टिस क्यों चाहिए* जब दुनिया में कार्य अर्थ जाना होता है और आसुरी संप्रदाय के साथ संबंध रखना पड़ता है तो परखने की प्रैक्टिस होने से बहुत बातों में *विजयी* बन सकते हैं। कोई भी परिस्थिति को,
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Amulya Ratan – 121

*अमूल्य रतन* 121 अव्यक्त मुरली दिनांक: 03 अक्टूबर 1969 *अव्यक्त स्थिति का सदा एकरस न रहने का कारण* श्रीमत के साथ साथ कभी कभी मनमत, देह-अभिमानपने की मत, शुद्रपने की मत का यूज करना। रस भिन्न-भिन्न है तो स्थिति भी भिन्न-भिन्न। *घबराहट और गहराई* जब कोई घबराहट की बात आती है तो गहराई में चले
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Amulya Ratan – 120

*अमूल्य रतन* 120 अव्यक्त मुरली दिनांक: 03 अक्टूबर 1969 *संपूर्ण समर्पण अर्थात्* तन-मन-धन संबंध और समय सब में अर्पण। अगर मन को समर्पण कर दिया तो *मन को बिना श्रीमत के यूज़ नहीं कर सकते।* मन सिवाय श्रीमत के एक भी संकल्प उत्पन्न नहीं करें – *इस स्थिति को कहा जाता है समर्पण।* इसलिए ही
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Amulya Ratan – 119

*अमूल्य रतन* 119 अव्यक्त मुरली दिनांक: 03 अक्टूबर 1969 *संपूर्ण समर्पण का छाप अगर नहीं लगा तो* आप आत्माओं की स्वर्ग में वैल्यू कम हो जाएगी। अपनी राजधानी में समीप आने के लिए यह छाप लगाना। *माताओं* को *नष्टोमोहा का मंत्र* मिला। *पांडव* सेना को *संपूर्ण समर्पण का मंत्र।* *पांडवों का गायन है कि गल
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Amulya Ratan – 118

*अमूल्य रतन* 118 अव्यक्त मुरली दिनांक: 03 अक्टूबर 1969 शीर्षक: *संपूर्ण समर्पण की निशानियां* *संपूर्ण परवानों के लक्षण और परख* वह शमा के स्नेही होंगे, समीप होंगे और उनका सर्व संबंध, उस एक के साथ ही होंगे। *सर्व संबंध, स्नेही, समीप और साहस* यह चारों बातें संपूर्ण परसेंटेज में धारण करनी है। *परवानों के प्रकार*
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Amulya Ratan – 117

*अमूल्य रतन* 117 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 *समय की चेतावनी* यह ध्यान रखो कि आपके संग का रंग अन्य पर इतना तो अविनाशी रहे जो कि कभी भी वह उतर नहीं सके। पहले था सिर्फ चलने का समय। फिर दौड़ने का समय भी आया। *अभी तो है जम्प का समय।* _अगर दौड़कर पहुंचने
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Amulya Ratan – 116

*अमूल्य रतन* 116 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 पुरुषार्थहीन व हिम्मतहीन बनना – *अब वह जमाना गया।* अब तो मददगार बनना है और बनकर दिखाना है। *डबल सर्विस – डबल ताज* तुम लोगों के चलन वाणी से भी ज्यादा सर्विस करेगी। *जब डबल सर्विस में सफलता होगी तभी डबल ताज मिलेगा।* *शक्ति रूप बनने
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Amulya Ratan – 115

*अमूल्य रतन* 115 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 *निश्चय बुद्धि अर्थात्* न बाप में, न बाप की नॉलेज में, न बाप के परिवार में संशय व विकल्प उठना चाहिए। अगर निश्चय नहीं है तो आपका कर्म भी वैसा ही होगा। *कमज़ोरी के संकल्प ही संशय है।* पुराने संस्कार तो मोटी चीज है। लेकिन पुराने
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Amulya Ratan – 114

*अमूल्य रतन* 114 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 *सच्चाई कभी छिप नहीं सकती* कई समझते हैं हम तो सच्चे हैं लेकिन हमें ऐसा समझा नहीं जाता है – यह भी सच्चाई नहीं है। *सच्चाई कभी छिप नहीं सकती* और सच्चे सबके प्रिय बन जाते हैं। *कई ऐसे समझते हैं हम नजदीक नहीं है इसलिए
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Amulya Ratan – 113

*अमूल्य रतन* 113 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 *सच्चाई और सफाई का गुह्य रहस्य* सच्चाई – *जो करे वही वर्णन करें।* *जो सोचें वही वर्णन करें।* मनसा वाचा कर्मणा तीनों रूपों में। *_मन में उत्पन्न होने वाले संकल्पों में भी सच्चाई चाहिए।_* सफाई – अंदर कोई भी *विकर्म का कचरा ना हो।* भाव स्वभाव
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Amulya Ratan – 112

*अमूल्य रतन* 112 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 *दैवी परिवार के अंदर सबसे खौफनाक मनुष्य* दैवी परिवार के अंदर सबसे खौफनाक, नुकसान कारक वह है *जो अंदर एक और बाहर से दूसरा रूप रखता है।* _वह परनिंदक से भी ज्यादा खौफनाक है_ क्योंकि वह कोई के नज़दीक नहीं आ सकता, स्नेही नहीं बन सकता,
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Amulya Ratan – 111

*अमूल्य रतन* 111 अव्यक्त मुरली दिनांक: 28 सितंबर 1969 शीर्षक: *पूरे कोर्स का सार – कथनी करनी एक करो* *कोर्स का सार* कहने और करने में अंतर नहीं हो। जो भी सोचते हो अथवा दुनिया को जो भी कहते हो वह करके दिखाना है। *अब जो सर्विस रही हुई है वह कहने से नहीं होगी
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Amulya Ratan – 110

*अमूल्य रतन* 110 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 सितंबर 1969 *सरेंडर का अर्थ* मेरा कुछ रहा ही नहीं। सरेंडर हुआ तो *तन मन धन सब कुछ अर्पण।* अर्पण किए हुए मन में अपने अनुसार संकल्प उठा ही कैसे सकते हो? तन से विकर्म कर ही कैसे सकते हो? धन को विकल्प अथवा व्यर्थ कार्य में लगा
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Amulya Ratan – 109

*अमूल्य रतन* 109 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 सितंबर 1969 *आसक्ति (इच्छा) को समाप्त करने के लिए* कोई भी आसक्ति चाहे देह की, देह की पदार्थों की उत्पन्न हो तो *अपने को शक्ति समझने से* आसक्ति समाप्त हो जाएगी। *मोह का कारण* आपका पहला वायदा – *”मैं भी तेरा, मेरा सब कुछ भी तेरा।”* तेरे को
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Amulya Ratan – 108

*अमूल्य रतन* 108 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 सितंबर 1969 *तीन बातें – याद, संयम और समय। याद रखने से* 01. त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकीनाथ बन जाएंगे। 02. जो संगमयुग का आपका टाइटल है वह सब प्राप्त हो जाएगा। *ब्राह्मण कुलभूषण ही चरित्रवान है।* _सिर्फ एक बाप का ही चरित्र नहीं है, बाप के साथ साथ
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Amulya Ratan – 107

*अमूल्य रतन* 107 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 सितंबर 1969 शीर्षक: *त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकीनाथ बनने की युक्तियां* *संयम* (संयम अर्थात् नियम) 01. स्वयं को और सर्वशक्तिमान *बाप को पूर्ण रीति जानने के लिए* संयम चाहिए। 02. संयम, स्वयं को और *सर्वशक्तिमान बाप को समीप लाता है।* 03. संयम को छोड़ने से याद भी छूटती है।
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Amulya Ratan – 106

*अमूल्य रतन* 106 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 सितंबर 1969 शीर्षक: *त्रिनेत्री, त्रिकालदर्शी और त्रिलोकीनाथ बनने की युक्तियां* *आकर्षण मूर्त बनने के लिए* अपनी व औरों की *आकृति को न देख अव्यक्त को देखो।* इससे आकर्षण मूर्त बनेंगे। आकृति के अंदर जो *आकर्षण रूप (आत्मा) है* उसको देखने से ही अपने से और औरों से आकर्षण
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Amulya Ratan – 105

*अमूल्य रतन* 105 अव्यक्त मुरली दिनांक: 15 सितंबर 1969 शीर्षक: *याद के आधार पर यादगार* *सर्वगुण संपन्न बनने के लिए* हर एक के *विशेष गुण* पर हर एक का *ध्यान जाना चाहिए।* एक एक का जो विशेष गुण है वह हर एक अपने में धारण करो। जैसे आत्मा रूप को देखते हो। और जब कर्म
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Amulya Ratan – 104

*अमूल्य रतन* 104 अव्यक्त मुरली दिनांक: 15 सितंबर 1969 शीर्षक: *याद के आधार पर यादगार* *नष्टोमोहा बनने के लिए* 01. नष्टोमोहा तब बनेंगे जब सच्चे स्नेही होंगे। 02. जो भी आसुरी गुण, लोक मर्यादाएं हैं, कर्म बंधन की रस्सियां है, ममता के धागे जो बंधे हुए हैं उन सबको जलाना है। इन सबको जलाने के
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Amulya Ratan – 103

*अमूल्य रतन* 103 अव्यक्त मुरली दिनांक: 15 सितंबर 1969 शीर्षक: *याद के आधार पर यादगार* *यह ड्रिल सीखो* अभी अभी निराकारी, अभी अभी साकारी। *साकार रूप में हर एक को आपसे निराकार रूप का साक्षात्कार कराने के लिए* _आवाज से परे निराकार रूप में स्थित हो फिर साकार में आने से_ औरों को भी उस
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Amulya Ratan – 102

*अमूल्य रतन* 102 अव्यक्त मुरली दिनांक: 27 अगस्त 1969 शीर्षक: *मदद लेने का साधन है हिम्मत* *ताज और तख्त को प्राप्त करने के लिए किन बातों की धारणा रखनी है।* _लक्ष्मी-नारायण कैसे चलते हैं, कैसे कदम उठाते हैं, कैसे नयन नीचे ऊपर करते हैं, वैसी चलन हो तब लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।_ अभी नयन ऊपर करोगे तो
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Amulya Ratan – 101

*अमूल्य रतन* 101 अव्यक्त मुरली दिनांक: 27 अगस्त 1969 शीर्षक: *मदद लेने का साधन है हिम्मत* *अनादि बना बनाया कायदा* संगम पर बच्चों को सजाने के लिए बाप को बिना पूछे ही आना पड़ता है। यह अनादि बना बनाया कायदा है। *सारी सृष्टि के बोझ से बच्चों को थकावट फील होने का कारण* अपने को
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Amulya Ratan – 100

*अमूल्य रतन* 100 अव्यक्त मुरली दिनांक: 24 जुलाई 1969 शीर्षक: *बिंदु रूप की प्रैक्टिस* *बिंदु होकर बैठना जड़ अवस्था नहीं है क्योंकि* जैसे बीज में सारा पेड़ समाया हुआ है वैसे ही आत्मा में बाप की याद समाई हुई होगी। बिंदु रूप अवस्था में स्थित होकर बैठने से *सब रसनाएं आएगी।* बिंदु रूप अवस्था से
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Amulya Ratan – 99

*अमूल्य रतन* 99 अव्यक्त मुरली दिनांक: 24 जुलाई 1969 शीर्षक: *बिंदु रूप की प्रैक्टिस* *बिंदी की याद* 01. अगर बिंदी को ही भूल जाएंगे तो सोचो किस आधार पर चलेंगे? क्योंकि *आत्मा के आधार से ही शरीर भी चलता है।* 02. यह नशा होना चाहिए कि “मैं आत्मा बिंदु-बिंदु की ही संतान हूं।” क्योंकि *संतान
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Amulya Ratan – 98

*अमूल्य रतन* 98 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *अपनी अवस्था में परिवर्तन लाने के लिए -* बुद्धि को लौकिक से अलौकिक बातों में परिवर्तन करना। 01. *कुर्सी* पर जब बैठो तो *तख्त* को याद करो। 02. *कलम* उठाओ तो कमल के फूल को याद करो। अर्थात् *कमल
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Amulya Ratan – 97

*अमूल्य रतन* 97 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *नम्रचित का तख्त* जिस पर विराजमान होने से सारे काम ठीक कर सकेंगे। *शक्ति सेना* को *एकरस का तख्त,* *पांडव सेना* को *निर्माणचित का तख्त।* इस पर बैठ जिम्मेवारी का ताज धारण कर भविष्य की पदवी बना सकते हो।
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Amulya Ratan – 96

*अमूल्य रतन* 96 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *कमाई का बहुत थोड़ा समय है* *ऐसा समय आने वाला है* जो कि आप अपनी कमाई नहीं कर सकेंगे परंतु दूसरों के लिए बहुत बिजी हो जाओगे। फिर *दूसरों की सर्विस करने में अपनी कमाई होगी।* यह नहीं सोचना
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Amulya Ratan – 95

*अमूल्य रतन* 95 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *बिंदु रूप में स्थित होने से* 01. चलते फिरते *अव्यक्त स्थिति* का अनुभव कर सकते हो। 02. एक सेकंड के अनुभव से *कितनी शक्ति अपने में भर सकते हो* यह भी जानेंगे। 03. स्वस्थिती में स्थित रहने से अपने
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Amulya Ratan – 94

*अमूल्य रतन* 94 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *बिंदु रूप में स्थित रहने के लिए* 01. *पहले पाठ को पक्का* करो। 02. *कर्म करते हुए* अपने को *अशरीरी आत्मा* महसूस करें। प्रैक्टिकल में न्यारा होकर कर्तव्य में आना। यह जितना जितना अनुभव करेंगे उतना ही बिंदु रूप
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Amulya Ratan – 93

*अमूल्य रतन* 93 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *परखने की शक्ति बढ़ाने का पुरुषार्थ* 01. दिल की सफाई के साथ-साथ *बुद्धि की सफाई* जास्ती चाहिए। 02. संकल्प की जो सकती है उसको *ब्रेक लगाने की पावर* हो। मन का संकल्प या बुद्धि की जजमेंट जो भी हो।
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Amulya Ratan – 92

*अमूल्य रतन* 92 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *बालकपन अर्थात्* वहीं पर दृढ़ता में बोलना फिर वहीं पर *बिल्कुल ही निरसंकल्प* बन जाना। *जहांँ बालकपन होना चाहिए वहांँ मालिकपन होने की रिजल्ट* 01. समय और शक्ति वेस्ट। 02. जहांँ एक दो में स्नेह बढ़ना चाहिए वहांँ कम
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Amulya Ratan – 91

*अमूल्य रतन* 91 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *किस बात में उतरना और किस बात में चढ़ना है* बड़प्पन होते हुए भी जहांँ पर छोटेपन की सीढ़ी उतरना होता है वहांँ पर। एक सेकंड में मालिक और एक सेकंड में बालकपन। *संगठन के बीच कैसे रहे* संगठन
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Amulya Ratan – 90

*अमूल्य रतन* 90 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 *परखने की शक्ति की आवश्यकता-02* 05. सर्विस करते वक्त मरीज की पूरी परख होने से *वारिस क्वालिटी आत्माएं* निकाल सकते हो। 06. भविष्य में आने वाली बातों को परखने के लिए। *यज्ञ की प्रत्यक्षता की सफलता पाने के लिए* _भविष्य में आने वाली बातों को सामना
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Amulya Ratan – 89

*अमूल्य रतन* 89 अव्यक्त मुरली दिनांक: 23 जुलाई 1969 शीर्षक: *सफलता का आधार परखने की शक्ति* *ताज और तख्त* चेक करो संगमयुग में किसने कितना बड़ा ताज और तख्त धारण किया है। क्योंकि *सभी चुने हुए रत्न हैं तो इतनी पहचान तो जरूर होगी ही।* *परखने की शक्ति की आवश्यकता* 01. अपने वर्तमान पुरुषार्थ प्रमाण
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Amulya Ratan – 88

*अमूल्य रतन* 88 अव्यक्त मुरली दिनांक: 19 जुलाई 1969 बापदादा के कार्य में मददगार होने के साथ-साथ हिम्मतवार बनो तो आप सभी की जो इच्छा है वह पूर्ण होगी। *हिम्मत कैसे आएगी?* हर समय, हर कदम पर, हर संकल्प में बलिहार होने से हिम्मत आएगी। जो बलिहार होता है उसमें हिम्मत ज्यादा होती है। *बलिहार
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Amulya Ratan – 87

*अमूल्य रतन* 87 अव्यक्त मुरली दिनांक: 19 जुलाई 1969 *बाप समान सर्व गुणों से संपन्न होने के लिए* दो बातें याद रखो *जीरो और हीरो।* सभी से छोटा रूप (आत्मा) है बाप का और आप सबका – जीरो। _जीरो को याद रखने से हीरो बन जाएंगे।_ हीरो बनना अर्थात् मुख्य एक्टर और बापदादा का प्रिय
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Amulya Ratan – 86

*अमूल्य रतन* 86 अव्यक्त मुरली दिनांक: 19 जुलाई 1969 शीर्षक: *जीरो और हीरो बनो* *बापदादा के सृष्टि का श्रंगार करने के लिए तैयार हुए जेवरों में बाकी रहा हुआ काम* अव्यक्त स्थिति की पॉलिश ही बाकी रही है। सभी को *ज्यादा से ज्यादा अव्यक्त स्थिति में रहने का विशेष समय देना है।* *पहला पाठ –
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Amulya Ratan – 85

*अमूल्य रतन* 85 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 जुलाई 1969 *जमा के खाते को क्यों बढ़ाना है – 02* आप रचयिता हो। *आप के एक एक रचना के पीछे फिर रचना भी है।* मांँ बाप को जब तक बच्चे नहीं होते हैं मांँ बाप की कमाई अपने प्रति ही होती है। जब रचना होती है तो
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Amulya Ratan – 84

*अमूल्य रतन* 84 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 जुलाई 1969 *अपना बैंक बैलेंस (जमा का खाता) चेक करना* कम से कम इतना तो होना चाहिए जो खुद संतुष्ट रहें। _अपनी कमाई से खुद भी संतुष्ट नहीं रहेंगे तो औरों को क्या कहेंगे।_ *जमा के खाते को क्यों बढ़ाना है – 01* अपने लिए तो करना ही
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Amulya Ratan – 83

*अमूल्य रतन* 83 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 जुलाई 1969 शीर्षक: अव्यक्त स्थिति बनाने की युक्तियां *हर वक्त अव्यक्त स्थिति में रहे उसके लिए मुख्य पुरुषार्थ* आत्माभिमानी बनना। *आत्माभिमानी अर्थात् अव्यक्त स्थिति।* अपने को मेहमान समझना। अगर मेहमान समझेंगे तो जो अंतिम संपूर्ण स्थिति का वर्णन है वह होगा। *स्वयं को मेहमान समझने से व्यक्त में
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Amulya Ratan – 82

*अमूल्य रतन* 82 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *कम खर्च बालानशीन का यथार्थ अर्थ* एकनामी के साथ यह मंत्र भी नहीं भूलना। एकाॅनामी भी हो साथ साथ जितनी एकाॅनामी उतना ही फ्रॉक दिल भी हो। *फ्रॉक दिल में एकाॅनामी समाई हुई हो।* इसको कहा जाता है कम खर्च बालानशीन। *मेहमान नवाजी में सन शोज़
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Amulya Ratan – 81

*अमूल्य रतन* 81 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *रचयिता आत्माओं पर जिम्मेवारी* आप सभी को इतना ध्यान रखना है जो कर्म हम करेंगे हमको देख हमारी प्रजा और हमारे द्वापर से कलियुग तक के भक्त भी ऐसे बनेंगे। _मंदिर भी ऐसा बनेगा। मूर्ति भी ऐसी बनेगी। मंदिर को स्थान भी ऐसा मिलेगा।_ इसलिए *हमेशा
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Amulya Ratan – 80

*अमूल्य रतन* 80 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *हर एक आत्मा का यथार्थ वैल्यू कब मालूम पड़ेगा?* आगे चलकर जो बहुत अच्छी सीन सीनरीयाँ आएंगे वह *आपका परिवर्तन* ही नजदीक लाएंगे। तब अपनी वैल्यू का भी पता पड़ेगा। अभी वेल्यू थोड़ा ऊपर नीचे होता रहता है। *मधुबन का महत्व क्या है* मधुबन है बापदादा
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Amulya Ratan – 79

*अमूल्य रतन* 79 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *पांडवों की जय जयकार कब होगी* कभी भी कोई कार्य में चाहे स्थूल, चाहे सूक्ष्म एक तो *कभी साहस नहीं छोड़ना, दूसरा आपस में स्नेह कायम रखना।* तो फिर पांडवों की जय जयकार हो जाएगी। जय जयकार के नारे सुनने में आएंगे। *जय जयकार के बाद
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Amulya Ratan – 78

*अमूल्य रतन* 78 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *संगम का संपूर्ण रूप शक्तियों और पांडवों के रूप में* मालूम पड़ेगा हमारे भक्त कौन हैं? प्रजा कौन है।? *जो प्रजा होगी वह नज़दीक आयेंगे और जो भक्त होंगे वह पिछाड़ी में चरणों पर झुकेंगे।* _*प्रत्यक्षफल का स्वीकार*_ रचयिता को अपनी रचना का ध्यान रखना है।
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Amulya Ratan – 77

*अमूल्य रतन* 77 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जुलाई 1969 *भट्टी अर्थात् परिवर्तन समारोह* *परिवर्तन की उत्कंठा क्या पहचान देता है?* इस बात की पहचान देता है कि अभी प्रत्यक्षता का समय नजदीक है। पहले प्रत्यक्षता होगी फिर इस सृष्टि पर स्वर्ग प्रख्यात होगा। *एक एक स्टार में दुनिया का अर्थ* जैसे कहते हो एक एक
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Amulya Ratan – 76

*अमूल्य रतन* 76 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 जुलाई 1969 *बापदादा बच्चों पर फरमान नहीं चलाते हैं, क्यों?* बापदादा बच्चों की सेवा करने के लिए सेवक बनकर शिक्षा दे रहे हैं। फरमान नहीं करते हैं परंतु शिक्षा देते हैं। *क्योंकि बाप टीचर भी है, सतगुरु भी है। अगर बच्चों को फरमान करें और न माने तो*
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Amulya Ratan – 75

*अमूल्य रतन* 75 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 जुलाई 1969 बापदादा की जो पढ़ाई मिली है उसको धारण करने से धैर्यवत और अंतर्मुख होंगे। *अन्त मती सो गति* समय बहुत नजदीक आने वाला है। आप शक्तियों को भुजाएं तैयार करनी है। तब तो दुश्मन(माया) से लड़ सकेंगे। अगर अपने में फेथ नहीं, बापदादा का पूरा परिचय
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Amulya Ratan – 74

*अमूल्य रतन* 74 अव्यक्त मुरली दिनांक: 06 जुलाई 1969 *जिज्ञासु को परिचय देते वक्त क्या करना चाहिए-* बीज तो बीज ही है। वह भल सड़ भी जाए तो भी समय पर कुछ न कुछ टालियांँ आदि निकलती रहती है। बरसात पड़ती है तो निकल आता है। *आप बीज(शिवबाबा) को भूल जाएंगे तो फिर रास्ता कैसे
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Amulya Ratan – 73

*अमूल्य रतन* 73 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969 *बच्चों के द्वारा पूछे गए प्रश्न पर बापदादा का उत्तर* प्रश्न: _*अशरीरी कर्मातीत बन करके क्या किया?*_ उत्तर : एक सेकंड में पंछी बन उड़ गया। साकार शरीर से एक सेकंड में उड़ ना सके। *अभी एक कार्य बाकी रहा हुआ है। साथ ले जाने का।*
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Amulya Ratan – 72

*अमूल्य रतन* 72 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969 *अब शिक्षा स्वरूप बनो* शिक्षा और आपका स्वधर्म अलग नहीं होना चाहिए। आपका स्वरूप ही शिक्षा होना चाहिए। *कई बातों में वाणी से नहीं अपने स्वरूप से शिक्षा दी जाती है।* *बच्चों के द्वारा पूछे गए प्रश्न पर बापदादा का उत्तर* प्रश्न: अब जो बापदादा अन्य
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Amulya Ratan – 71

*अमूल्य रतन* 71 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969 *विघ्नों को पार करने के लिए शक्ति* विघ्नों का सामना करने के लिए चाहिए परखने की शक्ति फिर चाहिए निर्णय करने की शक्ति। *निर्णय शक्ति* – जब निर्णय करेंगे यह माया है या यथार्थ, फायदा है या नुकसान, अल्पकाल की प्राप्ति है या सदाकाल की प्राप्ति।
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Amulya Ratan – 70

*अमूल्य रतन* 70 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969 शीर्षक: *शिक्षा देने का स्वरूप – अपने स्वरूप से शिक्षा देना।* *टीचर रूप का पार्ट* रिवाइस कोर्स टीचर करा रहे हैं या अपने आप कर रहे हो? रिवाइज कोर्स के लिए टीचर हर वक्त साथ नहीं रहता है। अभी टीचर दूर से ही देखरेख कर रहे
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Amulya Ratan – 69

*अमूल्य रतन* 69 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 जून 1969 शीर्षक: *शिक्षा देने का स्वरूप – अपने स्वरूप से शिक्षा देना।* *बापदादा का बच्चों को देखने का नज़रिया* बापदादा सिर्फ बच्चों को नहीं तीनों संबंधों से तीनों रूप से देखते हैं। *टीचर के रूप में नंबरवार स्टूडेंट* को देखते हैं। *गुरु* के रूप में *नंबरवार फॉलो
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Amulya Ratan – 68

*अमूल्य रतन* 68 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 जून 1969 संगमयुग पर अपना राजा बनना अर्थात् अधिकारी समझना। *अधिकारी बनने के लिए उदारचित्त* का विशेष गुण होना चाहिए। *ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य* ब्राह्मणों का मुख्य कर्तव्य है पढ़ना और पढ़ाना इसमें बिजी रहेंगे तो और बातों में बुद्धि नहीं जायेगी। *स्वतंत्र होकर सर्विस करनी चाहिए।* *मन
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Amulya Ratan – 67

*अमूल्य रतन* 67 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 जून 1969 “दृष्टि से सृष्टि बनती है” *दृष्टि और सृष्टि का ही गायन क्यों है मुख का क्यों नहीं?* संगम का पहला पाठ – भाई भाई की दृष्टि से देखो। अर्थात् पहले दृष्टि को बदलने से सब बातें बदल जाती है *जब आत्मा को देखते हैं तब यह
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Amulya Ratan – 66

*अमूल्य रतन* 66 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 जून 1969 *मरजीवा अर्थात्* अपने देह से, मित्र संबंधियों से पुरानी दुनिया, पुराने संस्कारों से मरजीवा। *मरजीवा बनने के लिए पुरुषार्थ* जैसे गंदी चीज से बचते हैं वैसे *पुराने संस्कारों से बचना है* इतना जब ध्यान रखेंगे तो औरों को भी ध्यान दिला सकेंगे। *सर्विस की सफलता के
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Amulya Ratan – 65

*अमूल्य रतन* 65 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जून 1969 शीर्षक: *बड़े से बड़ा त्याग – अवगुणों का त्याग* *तीनों संबंध से तीन सौगात* सौगात है स्नेह की निशानी। 01. _बाप के रूप में शिक्षा की सौगात।_ *बापदादा और जो निमित्त बनी हुई आत्माएं* हैं व जो भी दैवी परिवार हैं उन सब से *आज्ञाकारी और
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Amulya Ratan – 64

*अमूल्य रतन* 64 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जून 1969 शीर्षक: *बड़े से बड़ा त्याग – अवगुणों का त्याग* *श्रेष्ठ सेवाधारी/तीव्र पुरुषार्थी के लक्षण/सबूत* 1. कोई भी सामने आए तो एक सेकंड में उनको मरजीवा बनाना अर्थात् झट झाटकू से बना देना। 2. एक सेकंड में नजर से निहाल कर देंगे तब सर्विस के सफलता और
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Amulya Ratan – 63

*अमूल्य रतन* 63 अव्यक्त मुरली दिनांक: 16 जून 1969 शीर्षक: *बड़े से बड़ा त्याग – अवगुणों का त्याग* *स्नेह और शक्ति का मिलाप* बापदादा से स्नेह है तो शिवबाबा का मुख्य टाइटल सर्वशक्तिवान उसमें आप समान बनना है। ‘सिर्फ स्नेह’ टूट सकता है लेकिन *स्नेह और शक्ति दोनों का जहांँ मिलाप होता है वहांँ आत्मा
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Amulya Ratan – 62

*अमूल्य रतन* 62 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *पाण्डवों का मुख्य कार्य* जो कई प्रकार के लोग और कई प्रकार की परीक्षाएं समय प्रति समय आने वाली है और आती भी रहती हैं तो परीक्षा और लोगों की परख यह विशेष पाण्डवों का काम है। *पाण्डवों को
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Amulya Ratan – 61

*अमूल्य रतन* 61 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *परमार्थ से व्यवहार का सिद्ध होना* सभी प्रकार की परिस्थितियों में रहते हुए, लौकिक और अलौकिक दोनों तरफ एक जितना वजन जरूर होना चाहिए। कम नहीं। उस तरफ कम हुआ तो कोई हर्जा नहीं इस तरफ कम नहीं होना
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Amulya Ratan – 60

*अमूल्य रतन* 60 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *श्री कृष्ण के साथ पहले जन्म में नज़दीक आने वालों की संगमयुग में निशानी-* यज्ञ सर्विस, जिम्मेवारी व जो बापदादा का कार्य है उसमें जो नज़दीक होंगे वही वहांँ खेल-पाल आदि में नज़दीक होंगे। *नज़दीक होने की परख* जितनी
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Amulya Ratan – 59

*अमूल्य रतन* 59 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *मुख्य श्रीमत* यही है कि ज्यादा से ज्यादा समय याद की यात्रा में रहना। क्योंकि इस *याद की यात्रा से ही पवित्रता, दैवीगुण और सर्विस की सफलता होगी।* *जिम्मेवारी का ताज* जिम्मेवारी का ताज भी दिया हुआ है लेकिन
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Amulya Ratan – 58

*अमूल्य रतन* 58 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *पुरुषार्थ में शक्ति भरने के लिए* 01. जितना शक्ति रूप में स्थित होंगे उतना पुरुषार्थ भी शक्तिशाली होगा। 02. सवेरे उठते ही पुरुषार्थ में शक्ति भरने की कोई ना कोई पॉइंट विशेष रूप से बुद्धि में रखो। *साधारण व
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Amulya Ratan – 57

*अमूल्य रतन* 57 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *अलबेलेपन के कारण* 01. जो खुद को ज्यादा समझदार समझते हैं (बुद्धि में ज्यादा ज्ञान आ जाने से) वह अलबेलेपन में आ गए हैं। *तीनों कालों का ज्ञान बुद्धि में आने से अपने को ज्यादा समझदार समझते हैं।* 02.
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Amulya Ratan – 56

*अमूल्य रतन* 56 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* कोर्स पूरा हो गया। रिवाइज कोर्स भी चल रहा है फिर भी *मुख्य कौनसा अटेंशन कम है जिस कारण अव्यक्त स्थिति कम रहती है-* अलबेलापन होने के कारण पुरुषार्थ नहीं कर पाते हैं। जिसको सुस्ती कहते हैं। *सुस्ती का
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Amulya Ratan – 55

*अमूल्य रतन* 55 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 जून 1969 शीर्षक: *सुस्ती का मीठा रूप – आलस्य* *दिनचर्या में चेक करने के लिए कुछ मुख्य बातें* 01. व्यक्त में होते हुए अव्यक्त स्थिति का अनुभव होता है? 02. अव्यक्त स्थिति में कितना समय रह रहे हैं? 03. कितना समय लौकिक जिम्मेवारी की तरफ दिया और कितना
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Amulya Ratan – 54

*अमूल्य रतन* 54 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969 शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख* *बापदादा के स्नेह का रेस्पॉन्ड है स्वयं को बचाना।* *किन किन बातों से स्वयं को बचाना है -* 01. मन्सा में कोई संशय ना आए। *(मन्सा सहित प्योरिटी हो।)* 02. वाचा भी ऐसी रखनी है जो मुख से कोई ऐसा बोल
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Amulya Ratan – 53

*अमूल्य रतन* 53 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969 शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख* *निर्भयता के गुण को अपने में भरने के लिए मुख्य पुरुषार्थ -* जितना निराकारी अवस्था में स्थित होंगे उतना निर्भय होंगे। *भय तो शरीर के भान में आने से होता है।* *विशेष कुमारीयों से तथा सर्व बच्चों से बापदादा का स्नेह
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Amulya Ratan – 52

*अमूल्य रतन* 52 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969 शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख* *सहनशक्ति की आवश्यकताएं* 01. जितनी सहनशक्ति होगी उतनी *सर्विस में सफलता* होगी। 02. *संगठन में रहने के लिए* भी सहनशक्ति चाहिए। 03. *फाइनल पेपर जो विनाश का है उसमें पास* होने के लिए भी सहनशक्ति चाहिए। *सहनशक्ति कैसे आयेगी* स्नेह में
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Amulya Ratan – 51

*अमूल्य रतन* 51 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969 शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख* *संपूर्ण स्नेही की निशानी अथवा परख* 1. जिसके साथ स्नेह होता है सूरत में उसी स्नेही की सूरत देखने में आती है। 2. नयनों में वही नूर दिखता है। 3. मुख से भी स्नेह के बोल निकलते हैं। 4. हर चलन
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Amulya Ratan – 50

*अमूल्य रतन* 50 अव्यक्त मुरली दिनांक: 26 मई 1969 शीर्षक: *संपूर्ण स्नेही की परख* *बाप में निश्चय बुद्धि* तो है लेकिन *जितना ही बाप में निश्चय है उतना ही बाप के महावाक्यों में हो।* बाप के फरमान और आज्ञा में निश्चय बुद्धि होकर जो फरमान मिला उस पर चलना है। *टीचर में निश्चय* है, लेकिन
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Amulya Ratan – 49

*अमूल्य रतन* 49 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *स्नेह का सबूत* 01. जिसके प्रति स्नेह है उसके समान बनना है। 02. स्टूडेंट को टीचर के गुण जरूर धारण करने हैं। *कर्मातीत अवस्था परखने के लिए मीटर* जितना जितना समानता में समीप होंगे उतना ही समझो कर्मातीत अवस्था के
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Amulya Ratan – 48

*अमूल्य रतन* 48 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *स्नेह (मेहनत का फल)* जो मेहनत करते हैं उसका फल भी यहांँ ही मिलता है। *समय पर स्नेही की ही याद आती है।* सभी का स्नेही बनने के लिए मेहनत करनी है। *जो मेहनत करते हैं उनको हरेक स्नेही की
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Amulya Ratan – 47

*अमूल्य रतन* 47 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* मधुबन = *मधु अर्थात् मधुरता + बन, वन में वैराग्य वृत्ति वाले जाते हैं।* वैराग्य वृत्ति के साथ-साथ बेहद की वैराग्य बुद्धि भी चाहिए। *इन विशेषताओं को धारण करने से -* 01. आप सभी के चलन को दूसरे कॉपी करेंगे।
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Amulya Ratan – 46

*अमूल्य रतन* 46 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 शीर्षक: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *कोशिश और कशिश* जैसे बापदादा के बोल सुनते हैं तो लगता है मुरली तो कमाल की है; ऐसे *आप सभी के संकल्प, वाणी तथा कर्म कमाल का होना चाहिए।* हर एक के मुख से निकले कि इन्हों का कर्तव्य कमाल
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Amulya Ratan – 45

*अमूल्य रतन* 45 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 *दीपावली* के उपलक्ष्य पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* मधुबन के फूलों के साथ-साथ सभी में यह विशेषतायें होनी चाहिए- *मधुरता और बेहद के वैराग्य वृत्ति* 01. मधुरता से कोई को भी हर्षित कर सकते हैं। 02. मधुरता को धारण करने वाला
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Amulya Ratan – 44

*अमूल्य रतन* 44 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 *दीपावली* के उपलक्ष्य में अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *दीपमाला अर्थात्* *एक दीप से अनेक दीप* जगाते हैं तो अनेकों का एक के साथ लगन लगता है; लगन होगी तो अग्नी भी होगी। *दीपक के प्रकार* 01. *मिट्टी का स्थूल दीपक* –
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Amulya Ratan – 43

*अमूल्य रतन* 43 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 *दीपावली* के शुभ अवसर पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *बापदादा की बच्चों में मुख्य आशा है कि हर बच्चा पहले नंबर में जायें* अर्थात् हर एक विजयी रत्न बनें। *विजयी रत्नों के लक्षण-* 01. *माला के मुख्य मणके वही बन सकते
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Amulya Ratan – 42

*अमूल्य रतन* 42 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 *दीपावली* के शुभ अवसर पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *अपने भविष्य को स्पष्ट जानना-* 01. *आपकी चलन, आपकी तदबीर जो है वह आपके भविष्य तदबीर को प्रसिद्ध करेगी।* अब तकदीर और भविष्य में कुछ फर्क है। 02. जैसे साकार रूप में
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Amulya Ratan – 41

*अमूल्य रतन* 41 अव्यक्त मुरली दिनांक: 09 नवंबर 1969 *दीपावली* के शुभ अवसर पर अव्यक्त बापदादा के महावाक्य: *भविष्य को जानने की युक्तियाँ* *अपना भविष्य स्पष्ट जानने के लिए -* 01. *_जैसे जैसे आगे बढ़ते जायेंगे_* अपना भविष्य नाम-रूप-देश-काल यह चारों ही स्पष्ट होता जाएगा कि किस देश में राज्य करना है, किस नाम से,
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Amulya Ratan – 40

*अमूल्य रतन* 40 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969 शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी* *किस समय स्नेहमूर्त और किस समय शक्ति रूप बनाना है* *स्नेह बापदादा और दैवी परिवार से करना है।* अगर कोई ऐसा आया और उनको स्नेह दिखाया तो *वह स्नेह वृद्धि होकर कमज़ोर बना देता है* इसलिए शक्ति रूप की आवश्यकता
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Amulya Ratan – 39

*अमूल्य रतन* 39 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969 शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी* _परखने की शक्ति धारण करने से हर आत्मा के भूत, वर्तमान और भविष्य को जान सकेंगे।_ *ईश्वरीय शक्ति को धारण करने की आवश्यकता* दिन प्रतिदिन आपदाएं, अकाले मृत्यु, पाप कर्म बढ़ते जाते हैं तो पापात्माओं की वासनाएं जो रह जाती
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Amulya Ratan – 38

*अमूल्य रतन* 38 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969 शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी* *चेक करो हम किस प्रकार के गुलाब (पुरुषार्थी) हैं* *रूहे गुलाब* – अर्थात् रुह की स्थिति में रहना और हमेश *रूहानी रूह के नजदीक रहना।* *सदा गुलाब* – सर्विस में, धारणा में अच्छे हैं, संस्कार शीतल है, रुहानी स्थिति में
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Amulya Ratan – 37

*अमूल्य रतन* 37 अव्यक्त मुरली दिनांक: 18 मई 1969 शीर्षक: *रूहानी ज्ञान योग के ज्योतिषी* _बाप के कर्तव्य में निमित्त बनने के लिए_ *हर समय, हर हालत में Ever ready और all round* होना है। *निमित्त बच्चों के लिए स्लोगन – जो कर्म मैं करूंगा मुझे देख और सभी करेंगे* 01. 3 मिनट का रिकॉर्ड
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Amulya Ratan – 36

*अमूल्य रतन* 36 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 शीर्षक: *जादू मंत्र का दर्पण* दूर होते हुए भी हर बच्चा यथा योग्य यथा शक्ति अपने स्नेह से बापदादा के नयनों में समाया हुआ है इसलिए नूरे रत्न कहते हैं। *समय की सूचना* साकार में समय प्रति समय बच्चों को यह सूचना तो मिलती ही रही
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Amulya Ratan – 35

*अमूल्य रतन* 35 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 *All-round सर्विस में सफलता पाने के लिए युक्ति -* जो All round सर्विस करने वाले होते हैं उन्हों को विशेष इस बात का ध्यान रखना है कि *कैसी भी परिस्थिति हो लेकिन अपनी स्थिति एकरस हो।* तब all round सर्विस की सफलता मिलेगी। सर्विस के तिलक
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Amulya Ratan – 34

*अमूल्य रतन* 34 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 01. वर्तमान समय अव्यक्त स्थिति में ज्यादा कमी देखने में आती है। 02. एक है कथन दूसरा है मंथन। वर्तमान समय मंथन से कथन ज्यादा है। तीसरी बात कुछ सूक्ष्म है, *एक है मंथन करना दूसरा है मग्न रहना वह होती है बिल्कुल लवलीन अवस्था।* *जो
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Amulya Ratan – 33

*अमूल्य रतन* 33 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 शीर्षक: *जादू मंत्र का दर्पण* *बापदादा और बच्चों का स्नेह* *बापदादा का स्नेह अविनाशी है।* और _बच्चों का स्नेह_ एकरस नहीं रहता। _या तो बहुत स्नेहमूर्त या संकटमई_ अर्थात् संकट के समय स्नेह रहता है। ऐसा दर्पण जिसमें अपना मुखड़ा देख सकते हैं और उसमें जो
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Amulya Ratan – 32

*अमूल्य रतन* 32 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 *अधीन और अधिकार* माया के अधीन होने से बचने के लिए अपने को पहले *संगमयुग के सुख के अधिकारी* और फिर *भविष्य में स्वर्ग के सुखों के अधिकारी* समझना है। पर-अधीन कभी भी सुखी नहीं रह सकता हर बात में मन्सा, वाचा, कर्मणा दुःख की प्राप्ति
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Amulya Ratan – 31

*अमूल्य रतन* 31 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 *जीवन में अव्यक्त स्थिति की परख* 01. उनके हर कर्म में अलौकिकता होगी। 02. उनके नयन, चैन, हर कर्म करते हर कर्म इंद्रियों से अतींद्रिय सुख की महसूसता आयेगी। अगर यह दोनों ही चीजें अपने कर्म में देखते हो तो समझना चाहिए की अव्यक्त स्थिति में
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Amulya Ratan – 30

*अमूल्य रतन* 30 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 मई 1969 शीर्षक: *जादू मंत्र का दर्पण* *अव्यक्त मिलन के मूल्य* अव्यक्ति मिलन का मूल्य है *व्यक्त भाव को छोड़ना।* यह मूल्य जो जितना देता है उतना ही अव्यक्त अमूल्य मिलन का अनुभव करता है। अपने आपसे पूछो कि हमने _अव्यक्ति स्थिति में स्थित होने के लिए कहांँ
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Amulya Ratan – 29

*अमूल्य रतन* 29 अव्यक्त मुरली दिनांक: 08 मई 1969 *निराकारी, निरंहकारी और निर्विकारी यह तीन बातें याद रखने से -* अभी त्रिलोकीनाथ और त्रिकालदर्शी बनेंगे। भविष्य में विश्व के मालिक बनेंगे। *त्रिलोकीनाथ का अर्थ* जो तीनों लोकों के ज्ञान के सिमरण करते हैं वह है त्रिलोकीनाथ क्योंकि बाप के साथ साथ आप सभी बच्चे भी
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Amulya Ratan – 28

*अमूल्य रतन* 28 अव्यक्त मुरली दिनांक: 08 मई 1969 शीर्षक: *मन्सा, वाचा, कर्मणा को ठीक करने की युक्ति* *मन्सा वाचा कर्मणा तीनों को ठीक करने के लिए* मन्सा के लिए है *निराकारी।* वाचा के लिए है *निरंहकारी।* कर्मणा के लिए है *निर्विकारी।* यह तीन बातें अगर याद रखो तो मन्सा, वाचा, कर्मणा तीनों ही बहुत
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Amulya Ratan – 27

*अमूल्य रतन* 27 अव्यक्त मुरली दिनांक: 08 मई 1969 *जो प्रैक्टिस करनी है।* वर्तमान समय जिज्ञासुओं की संख्या बढ़ती रहेगी तो जिज्ञासु और नजदीक वाले को परखने के लिए बहुत प्रैक्टिस चाहिए। आप उनकी दृष्टि से पूरी सृष्टि को जान सकते हो। *निश्चय बुद्धि की निशानी* 01. निश्चय बुद्धि के नयनों से ऐसे महसूस होगा
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Amulya Ratan – 26

*अमूल्य रतन* 26 अव्यक्त मुरली दिनांक: 08 मई 1969 शीर्षक: *मन्सा, वाचा, कर्मणा को ठीक करने की युक्ति* *निश्चय और पुरुषार्थ में परसेंटेज* निश्चय में कभी भी परसेंटेज नहीं होती है, ना निश्चय में नंबरवार होते हैं। या तो निश्चय है या संशय है। पुरुषार्थ की स्टेज में नंबर हो सकते हैं। जरा भी संशय
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Amulya Ratan – 25

*अमूल्य रतन* 25 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *आपस में एक दो के मददगार बनने के लिए दो बातें धारण करनी है* सिर्फ बालक भी नहीं बनना है और सिर्फ मालिक भी नहीं बनना है संगम पर रहना है। *बालकपन अर्थात् नीरसंकल्प* हो कोई भी आज्ञा मिले, डायरेक्शन मिले उस पर चलना। *मालिकपन अर्थात्
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Amulya Ratan – 24

*अमूल्य रतन* 24 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *बीच की अवस्था है बीज* हर बात के दो तरफ होते हैं तो संगम पर ठहर जजमेंट करनी है। आप लोग *गृहस्थ व्यवहार* में रहते हो और *सर्विस में भी मददगार* हो तो दोनों तरफ *संभालने के लिए बीच में ठहरना पड़ेगा।* दोनों के बीच की
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Amulya Ratan – 23

*अमूल्य रतन* 23 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *स्तुति और स्थिति* वर्तमान समय स्थिति के आधार पर स्थिति है। जो कर्म करते हैं; उनके फल की इच्छा व लोभ रहता है। स्तुति नहीं मिलती है तो स्थिति भी नहीं रहती। _निंदा होती है तो निधन के बन जाते हैं अपनी स्टेज छोड़ और धनी
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Amulya Ratan – 22

*अमूल्य रतन* 22 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 _यह पुरुषार्थ शब्द कहाँ तक चलना है? क्या अंत तक ऐसे ही कहते रहेंगे?_ जैसे अब कह रहे हो कि हम पुरुषार्थी है ऐसे ही अंत तक कहेंगे? पुरुषार्थी अंत तक रहेंगे लेकिन वह पुरुषार्थ ऐसा नहीं होगा जैसे अभी कहते हो। *पुरुषार्थ का अर्थ ही
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Amulya Ratan – 21

*अमूल्य रतन* 21 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *एक दो में स्नेही बनने का तरीका* सर्वस्व त्याग से सरलता और सहनशीलता का मुख्य गुण आ जाता है जो दूसरों को भी आकर्षण करता है। अगर सरलता नहीं तो आपस में स्नेह भी नहीं हो सकता। *सर्वस्य त्यागी की निशानी* जितना ही नॉलेजफुल होगा उतना
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Amulya Ratan – 20

*अमूल्य रतन* 20 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 शीर्षक: *ब्राह्मणों का मुख्य संस्कार सर्वस्व त्यागी* *संगठन के लिए जरूरी चार बातें* 01. आपस में एक-दूसरे में स्नेह। 02. नजदीक संबंध। 03. सर्विस की जिम्मेवारी। 04. ज्ञान योग की धारणा का सबूत। एक दो में स्नेही बनने का साधन – *सभी के संकल्प और संस्कार
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Amulya Ratan – 19

*अमूल्य रतन* 19 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 एक एक श्वास, एक एक सेकंड सफल होना चाहिए। अगर कुछ भी *अलबेलापन रहा तो* जैसे कई बच्चों ने साकार मधुर मिलन का सौभाग्य गंवा दिया वैसे ही यह *पुरुषार्थ के सौभाग्य का समय भी हाथ से चला जायेगा।* अपनी ऊंच अवस्था में स्थित होकर देखो
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Amulya Ratan – 18

*अमूल्य रतन* 18 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *पुरुषार्थ से प्यार* अर्थात् फाइनल स्टेज के प्रमाण जो कुछ कमी देखने में आती है, उस कमी को शीघ्र निकालना। हर एक अपनी अपनी कहानी सुनाते हैं – शरीर का रोग ना हो तो हम बहुत पुरुषार्थ करें, _तन का बंधन हटेगा, मन का आएगा, धन
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Amulya Ratan – 17

*अमूल्य रतन* 17 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 *वर्तमान समय का पाठ* अव्यक्त रूप से स्नेह को लेना और स्नेह से सर्विस का सबूत देना है। 01. अव्यक्त स्नेह ही याद की यात्रा को बल देता है। 02. अव्यक्त स्नेह ही अव्यक्ति स्थिति बनाने की मदद देता है। *परिस्थिति और स्व स्थिति* 01. पुरुषार्थ
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Amulya Ratan – 16

*अमूल्य रतन* 16 अव्यक्त मुरली दिनांक: 17 अप्रैल 1969 शीर्षक/संदर्भ: *आबू ‘आध्यात्मिक संग्रहालय’ का उद्घाटन* *पुरुषार्थ से स्नेह* दैवी परिवार से स्नेह, सर्विस से स्नेह, बापदादा से स्नेह के साथ-साथ वर्तमान समय पुरुषार्थ से ज्यादा स्नेह रखना चाहिए। 01. जो पुरुषार्थ के स्नेही होंगे वह सबके स्नेही होंगे। 02. जब पुरुषार्थ से स्नेह होगा तब
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Amulya Ratan – 15

*अमूल्य रतन* 15 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 मार्च 1969 इन 7 बातों को धारण करने से शीतला देवी बनेंगे। *काली बनना है विकारों के ऊपर।* असुरों के सामने काली बनना है। लेकिन अपने *ब्राह्मण कुल में शीतला बनना है।* *जैसे याद का चार्ट रखते हो, साथ साथ अब यह भी चार्ट रखना।* साकार जो कर्म
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Amulya Ratan – 14

*अमूल्य रतन* 14 अव्यक्त मुरली दिनांक: 20 मार्च 1969 शीर्षक: *7 बातें छोड़ो और 7 बातें धारण करो* *7 बातें जो छोड़नी है* पांच विकार और उनके साथ छठा है आलस्य और सातवां है भय। शक्तियों का मुख्य गुण ही है निर्भयता। *7 बातें जो धारण करनी है* अपना स्वरूप, स्वधर्म, स्वदेश, सुकर्म, स्व लक्ष्य,
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Amulya Ratan – 13

*अमूल्य रतन* 13 (07-10-2018) अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 मार्च 1969 *खास ध्यान* 01. एक दो के संस्कारों को जानकर, एक दो के स्नेह में एक दो से बिल्कुल मिल जुल कर रहना है। 02. हर एक का फर्ज है अपना गुण और औरों में भरना। जैसे ज्ञानदान होता है वैसे गुणों का भी दान करना
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Amulya Ratan – 12

*अमूल्य रतन* 12 अव्यक्त मुरली दिनांक: 13 मार्च 1969 शीर्षक: *प्रेम और शक्ति के गुणों की समानता* *याद की यात्रा में भी मुख्य किस गुण में स्थित होना चाहिए?* वर्तमान समय परिस्थितियों के प्रमाण जितना ही प्रेम स्वरूप उतना ही शक्ति स्वरूप भी होना चाहिए। दोनों ही साथ और सामान रहें। *यह शक्तिपन की अंतिम
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Amulya Ratan – 11

*अमूल्य रतन* 11 अव्यक्त मुरली दिनांक: 4 मार्च 1969 सिर्फ स्वयं ही मालिक बन सेवा करते रहे तो सारे मिल्कियत के अधिकारी बन जाते हैं। *ना छोड़ना है ना पकड़ना है।* पकड़ना अर्थात् जिद से नहीं पकड़ना है; कहां तक, कैसे पकड़ना है यह भी समझना है। इसलिए मालिकपने और बालकपन दोनों ही समान रहे
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Amulya Ratan – 10

*अमूल्य रतन* 10 अव्यक्त मुरली दिनांक 4 मार्च 1969 *साकार रूप के लास्ट दिनों में सर्विस की मुख्य युक्ति – डबल घेराव* एक तो वाणी द्वारा सर्विस दूसरा अपने अव्यक्ति आकर्षण से दूसरों को घायल करना यह है घेराव डालना। *सर्विस के बंधन में बांधना* 01. अपने को खुद ईश्वरीय सेवा में लगाना चाहिए औरों
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Amulya Ratan – 09

*अमूल्य रतन* 09 अव्यक्त मुरली दिनांक: 4 मार्च 1969 शीर्षक: *होली के शुभ अवसर पर* *संगम की होली* होली में रंगा भी जाता है, जलाया भी जाता है, श्रृंगारा भी जाता है, साथ साथ कुछ मिटाया भी जाता है, यह सभी कर लेना इसको कहा जाता है होली मनाना। *संगम का मुख्य श्रृंगार है मस्तक
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Amulya Ratan – 08

*अमूल्य रतन* 08 अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969 *बीजरूप स्थिति का महत्व* बीज रूप स्थिति में स्थित रहने से अनेक आत्माओं में समय की पहचान और बाप की पहचान का बीज पड़ेगा। बीजरूप अवस्था में स्थित होकर ललकार करो, *बार-बार सुनाओ कि यह बाप का कर्तव्य है।* *प्रत्यक्षता* अभी तक अपने स्वमान, अपनी सर्विस
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Amulya Ratan – 07

*अमूल्य रतन* 07 अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969 *अव्यक्त स्थिति में सहज स्थित होने के लिए* ‘हम मेहमान हैं’ ऐसा समझने से महान स्थिति में स्थित हो जाएंगे। मेहमान समझना लेकिन महिमा में नहीं आना। जरा सा अंतर है *मेहमान और महिमा* यह अंतर अवस्था को ऊपर नीचे कर देता है। *तीन बातें छोड़ो
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Amulya Ratan – 06

*अमूल्य रतन* 06 अव्यक्त मुरली दिनांक: 6 फरवरी 1969 शीर्षक: *महिमा सुनना छोड़ो – महान बनों* *जो सुना है वह स्वरूप बन के दिखाना है। कैसे?* 1. आपकी हर चलन में हर चरित्र में बाप और दादा के चरित्र समाया हुआ होना चाहिए। 2. आपकी आंखों में उस ही बाप को देखें। 3. आपके चित्र
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Amulya Ratan – 05

*अमूल्य रतन* 05 अव्यक्त मुरली दिनांक: 2 फरवरी 1969   *सर्विस के लक्ष्य को पूर्ण करने में मुख्य विघ्न* ध्यान रखना कि मैंने यह किया, मैं ही यह कर सकता हूंँ ….. यह मैं पन आना इसको ही *ज्ञान का अभिमान, बुद्धि का अभिमान, सर्विस का अभिमान* कहा जाता है। *मुख्य शिक्षा* 1. इसके लिए
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Amulya Ratan – 04

*अमूल्य रतन* 04 *मुरली दिनांक: 02 फरवरी 1969 *बापदादा और बच्चों में अंतर* बापदादा शुद्ध मोह में आते हुए भी निर्मोही है, शुद्ध मोह बच्चों से भी जास्ती है और बच्चे शुद्ध मोह में आते हैं तो कुछ स्वरुप बन जाते हैं, या तो प्यारे बनते या तो न्यारे बनते हैं। जब यह अंतर मिटाएंगे
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Amulya Ratan – 03

*अमूल्य रतन* 03 मुरली दिनांक‌: 02 फरवरी 1969 शीर्षक: *अव्यक्त मिलन के अनुभव की विधि* *अव्यक्त मिलन का अनुभव प्राप्त करना चाहते हो तो* अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर रूहान करो तो अनुभव करेंगे कि सचमुच बाप के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसी रूहान से संदेशों को कई दृश्य दिखाते हैं वैसे ही
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Amulya Ratan – 02

*अमूल्य रतन* 02 मुरली दिनांक: 25th January 1969 *मनमना भव का गुह्य अर्थ* मन बिल्कुल जैसे ड्रामा का सेकंड बाई सेकंड जिस रीति से, जैसे चलता है, उसी के साथ साथ मन की स्थिति ऐसी ही ड्रामा की पटरी पर सीधी चलती रहे। जरा भी हिले नहीं। चाहे संकल्प से या चाहे वाणी से। *बापदादा
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Amulya Ratan – 01

*अमूल्य रतन* *25th January 1969 *”समर्पण की ऊंची स्टेज – श्वासों श्वास स्मृति”* *सर्व समर्पण अर्थात* – १. देह के अभिमान से भी संपूर्ण समर्पण, देह का अभिमान बिल्कुल ही टूट जाए तब कहा जाए सर्व समर्पणमई जीवन। २. समर्पण उसको कहा जाता है जो श्वासों श्वास स्मृति में रहे। *समर्पण की निशानी* १. चेहरे
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Amulya Ratan – 627

सदा स्मृति स्वरुप रहने से – मस्तक में संकल्पों की गति धैर्यवत होगी। अनेक संकल्पों को जन्म नहीं देंगे। रूहानी एनर्जी waste नहीं होगी। शक्ति स्वरुप का अनुभव कर सकेंगे। तीन शब्द सदा याद रखो – बैलेंस रखना है, ब्लिसफुल रहना है और सर्व को ब्लेसिंग देना है। कम सोचो अर्थात सिद्धि स्वरुप संकल्प करो।
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