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Hindi | Godlywood Studio | A visual Audio and Video studio of Brahmakumaris headquarter Mount Abu | Page 2
*अमूल्य रतन* 295 अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970* *गोवर्धन पर्वत का यादगार* पहाड़ को अंगुली देना अर्थात् पुराने संस्कारों को मिटाने में अंगुली देना। तब कलियुगी दुनिया बदल फिर नई दुनिया बनेगी। *चाहे कोई भी स्लोगन स्मृति में रखो, अच्छा है। लेकिन स्लोगन का स्वरूप बनना ही है यह याद रहे।* *एकमत* मणकों कीRead more
*अमूल्य रतन* 294 अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970* *अगर कमज़ोरी के संकल्प या बीती संकल्प उत्पन्न होते हैं तो* अगर भूल से पुराने संस्कारों को विष इमर्ज हो भी जाए तो उसको ऐसा समझो कि यह बहुत पिछले जन्म के संस्कार हैं। इन बातों का वर्णन करने को ही कहा जाता है व्यर्थ। *सहयोगी*Read more
*अमूल्य रतन* 293 अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970* *संकल्प, वाणी, कर्म सभी सिद्ध हो जाए इसके लिए* अगर कंट्रोलिंग पावर नहीं है तो व्यर्थ मिक्स होने के कारण सिद्धि प्राप्त नहीं होती। अगर यथार्थ उत्पत्ति हो संकल्पों की व यथार्थ वाणी निकले, यथार्थ कर्म हो, तो हो ही नहीं सकता कि सिद्ध ना हो।Read more
*अमूल्य रतन* 292 अव्यक्त मुरली दिनांक: *30 July 1970* शीर्षक: *महारथी अर्थात् महानता* *महारथियों का अर्थ* महारथियों का अर्थ ही है महानता। महानता सिर्फ संकल्प में नहीं लेकिन सर्व में महानता। उनके संकल्पों को प्रैक्टिकल में लाने के लिए समय नहीं लगता। *क्योंकि महारथियों के संकल्प भी ऐसे होते हैं जो प्रैक्टिकल में संभव होRead more
*अमूल्य रतन* 291 अव्यक्त मुरली दिनांक: *27 July 1970* *मधुबन का मुख्य लक्षण* मधुबन में रहते मधुरता और बेहद के वैराग्यवृत्ति को धारण करना है। इसको ही मधुबन कहा जाता है। *बाहर रहते भी अगर यह लक्ष्य है तो गोया मधुबन निवासी हैं।* *प्रैक्टिकल में सहयोगी बनने से* सर्व को सहयोग दे भी सकेंगे औरRead more
*अमूल्य रतन* 290 अव्यक्त मुरली दिनांक: *27 July 1970* *स्नेह मूर्त* *स्नेह कभी गुप्त नहीं रह सकता।* स्नेही के हर कदम से उसकी छाप देखने में आती है। जितना हर्षित मूर्त उतना आकर्षण मूर्त बनना है। *आकर्षण मूर्त बनने के लिए* आकारी रूपधारी बनकर साकार कर्तव्य में आना है। *अंतर्मुखी और एकांतवासी यह लक्षण* धारणRead more
*अमूल्य रतन* 289 अव्यक्त मुरली दिनांक: *27 July 1970* *दो बातें धारण करना और एक बात छोड़ना* *रूहानियत और ईश्वरीय रूहाब* धारण करना। *नीचपना और रोब* को छोड़ना है। दूसरा जो भिन्न-भिन्न रूप बदलते हो उनको छोड़कर एक *अव्यक्त और अलौकिक रूप धारण करो।* *सफलता अर्थात्* सफलता अर्थात् संपूर्ण गुण धारण करना। अगर सर्व बातोंRead more
*अमूल्य रतन* 288 अव्यक्त मुरली दिनांक: *27 July 1970* शीर्षक: *अव्यक्त बनने के लिए मुख्य शक्तियों की धारणा* *अंतिम स्टेज* अंतिम स्टेज ऐसी होनी चाहिए जिसमें हर एक के मुखड़े में *अव्यक्त मूर्त, आकर्षण मूर्त, अलौकिक मूर्त और हर्षित मूर्त।* यह सर्व लक्षण प्रसिद्ध रूप में दिखाई दे। संपूर्ण स्टेज़ में यह *सभी लक्षण समानRead more
*अमूल्य रतन* 287 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 July 1970* *इविल स्पिरिट्स व इविल संस्कारों से बचने के लिए* समय, संकल्प और शक्ति की बचत कर *बिंदी रूप की स्थिति को बढ़ाने से कोई भी इविल स्पिरिट्स व इविल संस्कार का फोर्स आप लोगों पर वार नहीं करेगा।* और आप लोगों का शक्ति रूप ही उन्होंRead more
*अमूल्य रतन* 286 अव्यक्त मुरली दिनांक: *24 July 1970* *सर्व बातों का सामना करने के लिए विशेष अटेंशन दो शब्द* एक अंतर और दूसरा मंत्र। *जो भी बात होती है उसका अंतर करो कि यह यथार्थ है या अयथार्थ है?* बापदादा के समान है व नहीं है? हर समय अंतर करके उसका एक सेकंड मेंRead more